डाउन टू अर्थ, 3 जनवरी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत एक निश्चित आबादी को खाद्य सुरक्षा का अधिकार दिया गया है, लेकिन यह अधिकार क्या वाकई हकदार तक पहुंच रहा है। डाउन टू अर्थ की इस खास सीरीज में यही जानने की कोशिश की जा रही है। अब तक आप जमीनी सच्चाई कहती चार कड़ियां पढ़ चुके हैं। पहली कड़ी - ग्राउंड रिपोर्ट, सरकारी राशन का सच: सात साल से...
More »SEARCH RESULT
जेनेटिकली मॉडिफाइड खाद्य पदार्थों के लिए FSSAI के नियम तैयार, फूड पैकेट पर लगाना होगा लेबल
जागरण, 29 नवम्बर भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने आनुवंशिक रूप से संशोधित खाद्य पदार्थों यानि जेनेटिकली मॉडिफाइड (Genetically Modified Foods) के लिए नियमों का मसौदा तैयार किया है। इसमें जेनेटिकली मॉडिफाइड जीवों से निर्मित खाद्य या सामग्री के निर्माण, बिक्री और आयात के लिए नियामक से पूर्व अनुमोदन अनिवार्य करने का प्रस्ताव किया गया है। अगर ऐसा होता है, तो कई खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता में सुधार आ...
More »पोषण से खाली भारत की थाली
डाउन टू अर्थ, 27 अक्टूबर भारत के सामने सबसे बड़ी बुनियादी चुनौती खाद्य और पोषण असुरक्षा की है। इस विषय को बहुत तार्किक ढंग से समझे जाने की जरूरत है। विश्व में भारत को मज़बूत करने की शुरुआत देश को भीतर से मज़बूत करने की पहल से होगी। भूख की स्थितियों को नकारने से भारत की गरिमा में कोई विस्तार न होगा। वैश्विक भूख सूचकांक (ग्लोबल हंगर इंडेक्स) यह नहीं कहता कि...
More »भारत के नागरिकों की खाद्य सुरक्षा- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना और एक देश एक राशन कार्ड योजना- की पड़ताल!
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को 44,762 करोड़ रूपए की अतिरिक्त धनराशी के साथ तीन माह के लिए और बढ़ा दिया गया है. यह योजना 1 अक्टूबर, 2022 से 31 दिसम्बर, 2022 तक की अवधि तक यथावत रहेगी. यह योजना का सातवा चरण है. सातवें चरण तक योजना का कुल खर्च 3.45 लाख करोड़ रूपए से बढ़कर 3.91 लाख करोड़ रूपए हो जाएगा. कोविड महामारी के दौरान गरीब और जरूरतमंद लोगों की...
More »बंगाल सरकार की ‘दुआरे राशन योजना’ क़ानूनी रूप से वैध नहीं: कलकत्ता हाईकोर्ट
द वायर, 28 सितम्बर कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को पश्चिम बंगाल सरकार की ‘दुआरे राशन योजना’ को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए)-2013 का उल्लंघन करार देते हुए कहा कि यह योजना कानून की नजरों में मान्य नहीं है. उच्च न्यायालय ने यह फैसला उचित मूल्य के दुकानदारों द्वारा दाखिल याचिका पर सुनाया, जिन्होंने उसकी एकल पीठ के निर्णय को चुनौती दी थी. उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने अपने फैसले में...
More »