"जब हम पुलिस के पास पहुँचे तो सबसे पहले हमारी जात पूछी, जात बताने पर नीचे खड़ा रहने के लिए कह दिया, गंदी-गंदी गालियाँ देकर हमारा मज़ाक़ बनाने लगे. दो घंटे की मिन्नतों के बाद वे चारपाई से उठे. मुझे कई बार उनके पैर छूने पड़े." उत्तर प्रदेश के बदायूँ ज़िले में गैंगरेप के बाद पेड़ से लटकी मिली दो लड़कियों में से एक के पिता के ये शब्द इस इलाक़े...
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चुनौती है पहचान की राजनीति- सुभाषिनी अली
इस वर्ष की शुरुआत कमोबेश उसी तरह की घिनौनी घटनाओं के साथ हुई, जिनके साथ 2013 का अंत हुआ था। पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले की एक आदिवासी पंचायत ने अपने ही समुदाय की एक 20 वर्षीय लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार किए जाने का फरमान जारी कर दिया और दिल्ली के लाजपत नगर मार्केट में अरुणाचल प्रदेश के एक 19 वर्षीय नौजवान को लाठी-सरियों से इतनी बुरी तरह पीटा गया कि...
More »राहत का अल्पविराम- प्रियंका दुबे
12 नवंबर, 2013 को सर्वोच्च न्यायालय से जमानत मिलने के बाद रिहा हुई 36 वर्षीया सोनी सोरी की कहानी जितनी माओवादियों और पुलिस के अत्याचारों के बीच फंसे एक आम आदिवासी की मुश्किलें दिखाती है उतनी ही ‘माओवादी या माओवादी समर्थक’ होने के धुंधले आरोपों के तहत छत्तीसगढ़ की जेलों में न जाने कितने लंबे समय के लिए धकेल दिए गए सैकड़ों निर्दोष आदिवासियों की त्रासदी भी. माओवादी संघर्ष के...
More »वे चार और मेधा बहन- सुदीप ठाकुर
7 अक्टूबर, 2013। अहमदाबाद के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट भवन का आठवां माला। कक्ष नंबर, 21, मुझे यहीं बुलाया था उन्होंने। अहमदाबाद के तमाम सरकारी दफ्तरों की तरह इस कोर्ट के तमाम कक्षों के बाहर गुजराती में लिखी तख्तियां लटकी हुई हैं। गुजराती लिपि कुछ-कुछ हिंदी से मिलती-जुलती है। मैं पढ़ने की कोशिश करता हूं। गुजराती कुछ-कुछ घुमावदार है, मगर तमिल, तेलुगू या मलयालम की तरह नहीं। कुछ अक्षर तो हिंदी...
More »लखीमपुर: महिला तस्करी की नई राजधानी- प्रियंका दुबे
रह्मपुत्र और सुबनसिरी जैसी विशाल नदियों के बीच बसा असम का लखीमपुर जिला पहली नजर में खुशहाल इलाका दिखता है. ढलानों पर पसरे चाय-बागान, दूर तक फैले धान के खेत और पानी से लबालब सैकड़ों तालाब. लेकिन सतह को थोड़ा ही कुरेदने पर इस खुशनुमा तस्वीर के पीछे की भयावह सच्चाई दिखती है. पता चलता है कि बागानों में चाय की पत्तियां तोड़ते मजदूरों और पानी में डूबे खेतों में...
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