वह किसी तेज़ धावक की तरह 200 मीटर की दूरी को गोली की गति से पूरा करते हैं. हम उसके पीछे ऊबड़-खाबड़ रास्ते पर गिरते-पड़ते भागते हैं. वह मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग पर पहुंचते हैं और लाल झंडे को लहराते हुए रेलवे फाटक को बंद करते हैं. इसकी उम्मीद हममें से किसी को भी नहीं थी. तभी वे फिर ट्रेन की ओर घूमते हैं और ट्रेन को हरी झंडी दिखाते हैं. ट्रेन आगे बढ़ती...
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बहुत कठिन है स्कूल तक की डगर- पंकज चतुर्वेदी
तेलंगाना के मेडक जिले में एक स्कूल बस के ट्रेन से भिड़ जाने के कारण 14 बच्चों की मौत ने देश को हिला दिया है। लेकिन यह ऐसी पहली खबर नहीं है। अभी जुलाई के पहले सप्ताह में ही राजधानी दिल्ली में बच्चों को स्कूल ले जा रही एक आरटीवी दुर्घटनाग्रस्त हो गई और वाहन का चालक घायल बच्चों को छोड़ भाग गया। इसी क्रम में सितंबर 2010 की राजधानी...
More »गांव-देहात व किसान से वास्ता नहीं- केसी त्यागी
आम बजट और रेल बजट को देख कर यह सहज रूप से कहा जा सकता है कि केंद्र सरकार बजट के पीछे राजनीति कर रही है. राजनीति इस अर्थ में कि जो भाजपा कहती है, वह करती नहीं है. जो वादा करती है, उसके पीछे उसकी मंशा क्या है, तथा आम आदमी के प्रति वह कितनी हमदर्द है, वह आम बजट और रेल बजट से साबित हो गया है. सरकार...
More »छोटी-सी गुड़िया की लंबी कहानी : हर्ष मंदर
हॉलैंड का एक गांव। गिरजे की खिड़कियों से छनकर आ रही दोपहर की नर्म धूप में हम प्रेम के एक चमत्कार के साक्षी हुए। इस कहानी की शुरुआत 24 साल पहले कराची के एक यतीमखाने से होती है। एक परित्यक्त बच्ची सड़क पर जिंदगी और मौत के बीच झूल रही थी, जिसे यतीमखाने के कर्मचारी अपने यहां ले आए थे। यतीमखाने को एक समृद्ध और दयालु डच महिला संचालित करती थी। उन्होंने...
More »विद्रोह के केंद्र में दिन और रातें
जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता और ईपीडब्ल्यू के सलाहकार संपादक गौतम नवलखा तथा स्वीडिश पत्रकार जॉन मिर्डल कुछ समय पहले भारत में माओवाद के प्रभाव वाले इलाकों में गए थे, जिसके दौरान उन्होंने भाकपा माओवादी के महासचिव गणपति से भी मुलाकात की थी. इस यात्रा से लौटने के बाद गौतम ने यह लंबा आलेख लिखा है, जिसमें वे न सिर्फ ऑपरेशन ग्रीन हंट के निहितार्थों की गहराई से पड़ताल करते हैं, बल्कि माओवादी...
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