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इस बार दावोस इतना अहम क्यों है-- पुष्परंजन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व आर्थिक फोरम के उद्घाटन के अवसर पर आज बीज वक्तव्य देंगे। वल्र्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) के ग्लोबल प्रमुख (प्रोग्रामिंग) ली हॉवेल ने एक पते की बात कही है कि ‘इस बार सम्मेलन में आए शासन प्रमुख बोलें कम और लोगों की सुनें ज्यादा।' प्रधानमंत्री मोदी के बीज वक्तव्य से आरंभ इस पांच दिवसीय सम्मेलन का समापन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भाषण से होगा। बीच में...

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ठोस उपायों से ही बदलेगी तस्वीर - डॉ. भरत झुनझुनवाला

केंद्र सरकार का वित्तीय घाटा बढ़ रहा है। सरकार की आय कम हो और खर्च ज्यादा हो तो अंतर को पाटने के लिए सरकार बाजार से ऋण लेती है। इस ऋण को वित्तीय घाटा कहा जाता है। वित्तीय घाटे को अच्छा नहीं माना जाता, ठीक वैसे ही जैसे ऋण लेकर फाइव स्टार होटल में भोजन करने वाले को जिम्मेदार नहीं माना जाता है। विदेशी निवेशक सोचते हैं कि सरकार को...

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गंभीर होते खेती व रोजगार के सवाल - प्रदीप सिंह

लोकसभा चुनाव अभी सवा साल दूर हैं। इसे यों भी कह सकते हैं कि लोकसभा चुनाव में बस 16 महीने रह गए हैं। सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव की तैयारी अभी से शुरू कर दी है। 2014 के लोकसभा चुनाव और 2019 के चुनाव में एक बड़ा फर्क होगा। तब कांग्रेस सत्ता में थी और उससे सवाल पूछे जा रहे थे। आज भाजपा सत्ता में है और उससे जवाब मांगा...

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अर्थव्यवस्था की गतिकी-- संदीप मानुधने

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के वर्षभर के पहले अग्रिम आकलन के मुताबिक सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) की वार्षिक वृद्धि दर का आंकड़ा अनुमान से काफी कम आया है. सीएसओ का कहना है कि मौजूदा वित्त वर्ष में जीडीपी 6.5 फीसदी के दर से बढ़ेगी, जबकि रिजर्व बैंक का आकलन 6.7 फीसदी का था. यह अन्य अनुमानों से भी कम ही है. अपने-आप में जीडीपी की वृद्धि दर शायद बहुत अधिक...

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बचत पर बाजार की नजर-- राजू पांडेय

अब आम आदमी का धन क्या बैंकों में सुरक्षित नहीं रहेगा? एफआरडीआइ विधेयक की बाबत इस सवाल पर चर्चा जारी है। सामान्यतया बैंक और उसके जमाकर्ताओं के हित परस्पर विरोधी नहीं होते, पर जब उद्योगपतियों को दिए गए विशाल कर्जों की माफी के लिए ‘बेलआउट पैकेज' और इस कारण दिवालियेपन के कगार पर पहुंचे बैंकों को बचाने के लिए ‘बेल इन' का सहारा लिया जाता है तब बैंकों और जमाकर्ताओं...

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