स्वामीनाथ शुक्ल, अमेठी। पेट्रोलियम मंत्रालय के एक फरमान से जिले के 1766 सरकारी स्कूलों में मध्याह्न भोजन योजना संकट में है। करीब ढाई लाख बच्चे रोजाना स्कूल से भूखे पेट घर लौट रहे है। रसोई गैस की कीमत बढ़ने से विद्यालयों में भोजन बनना बंद हो गया है। इससे स्कूलों में सन्नाटा छा गया है। दरअसल, अधिकांश बच्चे स्कूलों में भोजन, वर्दियां, बैग, वजीफा और सरकारी किताबों की लालसा में पढ़ने जाते...
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आरकेसी में गरीब पढ़ेगा, शासन का आदेश
रायपुर. निशुल्क शिक्षा का अधिकार कानून भले ही 2009 में बना हो, लेकिन प्रदेश में शिरीष पाठक पहला गरीब होगा, जो राजकुमार कालेज में पढ़ेगा। शासन ने व्यक्तिगत रूप से किसी छात्र के लिए पहला आदेश मंगलवार को जारी किया। स्कूल शिक्षा विभाग के अवर सचिव एमएन राजुरकर ने राजकुमार कॉलेज के अध्यक्ष टीएस सिंहदेव को लिखे पत्र में कहा है कि निशुल्क शिक्षा के अधिकार के तहत शिरीष को पहली में एडमिशन...
More »UP: कन्या धन योजना में 800 करोड़ बंटेंगे
प्रदेश में 10वीं पास कर चुकी 17.62 लाख बेटियों में अखिलेश सरकार 8 सौ करोड़ रुपये कन्या धन बांटेगी। इस योजना से चालू वित्तीय यानी 2012-13 में 13.89 लाख सामान्य वर्ग की और 3.73 लाख अनुसूचित जाति एवं जनजाति (एससी/एसटी) की छात्राएं लाभान्वित होंगी। बता दें कि सपा ने चुनाव घोषणा पत्र में अपनी पिछली सरकार की तर्ज पर 10वीं पास कर चुकी बेटियों को कन्या धन देने का ऐलान किया...
More »सरकारी स्कूलों पर दिए बयान से पलटे श्री श्री रविशंकर
लगातार हो रही अलोचनाओं और विरोध को देखते हुए आधात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर बुधवार को जयपुर में दिए गए अपने विवादास्पद बयान से पलट गए हैं। उन्होंने कहा है कि उनके बयान का यह मतलब नहीं था कि सभी सरकारी स्कूलों में नक्सली पैदा होते हैं। सरकारी स्कूलों में से कई महान प्रतिभाएं देश के सामने आई हैं। नक्सली क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों पर था बयान द आर्ट ऑफ लिविंग के...
More »विकास की बंद गली- भारत डोगरा
जनसत्ता 2 फरवरी, 2012 : हाल के वैश्विक संकट ने विश्व-स्तर पर लोगों को नए सिरे से आर्थिक नीतियों के बारे में सोचने के लिए प्रेरित किया है। अब आम लोग और विशेषज्ञ दोनों निजीकरण, बाजारीकरण और भूमंडलीकरण पर आधारित मॉडल की प्रासंगिकता पर सवाल उठा रहे हैं। आम लोगों की बेचैनी की अभिव्यक्ति सबसे प्रबल रूप में आक्युपाइ द वॉल स्ट्रीट आंदोलन के रूप में हुई है। दूसरी ओर, इस बार...
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