-जनपथ, आगामी 31 दिसंबर से ग्लासगो (ग्रेट ब्रिटेन) में COP26 विश्व पर्यावरण सम्मेलन हो रहा है। इसमें चीन को छोड़कर दुनिया के अधिकतर राजप्रमुख शामिल हो रहे हैं। इसे दुनिया को बचाने का आखिरी मौका माना जा रहा है। उद्घाटन भाषण में ही ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने सरकारों के अलावा कॉरपोरेट जगत को भी सहयोग करने की अपील की। दुनिया में बढ़ते प्रदूषण को लेकर यह छब्बीसवां अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन...
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Most Polluted Cities In India : पर्यावरण के लिए सबसे खतरनाक देशों में शामिल हुए हम, 100 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से 43 सिर्फ भारत में
-जनज्वार, Most Polluted Cities In India : हाल में ही अमेरिका में बाइडेन प्रशासन (Biden Administration of USA) ने एक रिपोर्ट को सार्वजनिक किया है जिसके अनुसार जलवायु परिवर्तन और तापमान बृद्धि (Climate Change & Global Warming) के प्रभावों से पूरी दुनिया में अराजकता बढ़ेगी, पर सबसे अधिक असर 11 देशों पर पड़ेगा, जिनमें भारत भी शामिल है। इस रिपोर्ट को अमेरिका की ख़ुफिया संस्थानों और पेंटागन (Intelligence agencies & Pentagan)...
More »धरती पर पानी क्या ख़त्म हो रहा है?
-बीबीसी, कुछ महीनों पहले की बात है. ईरान में अभूतपूर्व सूखे और बारिश की कमी की वजह से नदियाँ सूख गईं. पूरे देश में पानी की कमी को लेकर भीषण विरोध प्रदर्शन हुए. साल 2019 में भारत के सबसे बड़े शहरों में से एक चेन्नई का पानी संकट अख़बारों की सुर्खियां बना. उस वक़्त बहस छिड़ी कि बढ़े उद्योग, शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन का असर किस तरह का कहर बरपा सकता है. साल 2018 में भीषण सूखे की वजह...
More »कौन कर रहा है कोयले की दलाली में हाथ काले?
-जनपथ, देश में इन दिनों कोयला संकट पर भारी कोहराम मचा है। ऐसा माना जा रहा है कि इसकी मुख्य वजह देश के ऊर्जा संयंत्रों के पास कम स्टॉक का होना है। कोयले की कमी से देश में बड़े बिजली संकट की बात भी कही जा रही है। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अनुसार जून में पावर प्लांट्स में 17 दिनों का कोयले का स्टॉक मौजूद था जबकि अक्टूबर में कोयले से...
More »बिहार में जलवायु संकट से बढ़े हीट वेव से निपटने का बना एक्शन प्लान
-वाटर पोर्टल, बिहार में जलवायु संकट के कारण बढ़ रहे हीट वेव और वज्रपात को रोकने और उसका आकलन करने के लिए ‘मीडिया कलेक्टिव फॉर क्लाइमेट इन बिहार’ ने गैर सरकारी संस्था ‘असर’ के साथ मिलकर एक मीडिया रिपोर्ट जारी की है। इस 67 पन्ने की रिपोर्ट में जहां एक तरफ यह बताया गया है कि इस अध्ययन की जरूरत क्यों पड़ी तो वही दूसरी और जमीनी चुनौतियों पर भी चिंतन किया...
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