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कोरोना लॉकडाउन: प्रवासी मज़दूरों के लिए ना घर में काम, ना बाहर, जाएं तो जाएं कहाँ?

-बीबीसी, जोगिंदर हमाली अहमदाबाद शहर में वर्षों तक खुले में अपने ठेलेगाड़ी पर सोते रहे. उन्हें ज़िंदगी की नाइंसाफ़ी पर हैरानी होती थी. पिछले साल लॉकडाउन से पहले तक वह अहमदाबाद में दिहाड़ी कर रहे थे. लेकिन काम छूट गया तो वो गाँव लौट गए. कुछ महीनों पहले काम की तलाश में हमाली फिर अहमदाबाद लौटे, लेकिन इस साल अप्रैल में जब लॉकडाउन लगा तो एक बार फिर उन्हें मजबूर होकर गाँव...

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जिस कंपनीराज के खिलाफ हमारे पुरखे लड़े थे, वही मोदी सरकार देश पर फिर थोपना चाहती है!

-जनपथ, कल 26 मई को किसान आंदोलन के 6 माह पूरे होने के अवसर पर संयुक्त किसान मोर्चा की अपील पर विरोध दिवस (काला दिवस) मनाया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा देश के हर किसान तक आंदोलन के मुद्दों को पंहुचाने के लिए 21 मई से 26 मई तक फेसबुक लाइव किया जा रहा है। फेसबुक लाइव के आज पांचवें दिन अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के वर्किंग ग्रुप के सदस्य...

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बिहार के गांवों में कोरोना का कहर: क्या बंद स्वास्थ्य केंद्रों को खोलने से सुधरेंगे हालात?

-डाउन टू अर्थ, कुछ माह पहले बिहार में 1451 ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र बंद कर दिये गये थे, अब उन्हें खोला जा रहा है। मंगलवार, 18 मई को खुद राज्य के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने यह घोषणा की है। उन्होंने कहा कि जब राज्य में कोरोना के मामले बढ़ने लगे तो इन 1451 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को बंद कर इनके चिकित्सकों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को डेडिकेटेड कोविड हेल्थ...

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दूसरी लहर ग्रामीण जीवन पर कहर बरपा रही है, क्या यह ग्रामीण आजीविका को भी प्रभावित करेगी?

इस साल मार्च के बाद से हर रोज कोविड-19 के नए मामलों और मौतों में वृद्धि होने के बाद मीडिया ने रिपोर्ट (कृपया यहां और यहां क्लिक करें) किया कि प्रवासी कामगार अपने प्रवास स्थलों से मूल स्थानों (यानी मूल स्थानों) पर वापस लौट रहे हैं. शहरों और बड़े औद्योगिक कस्बों में जहां समाज के हाशिए के वर्गों से अनौपचारिक और कम कुशल श्रमिक मौसमी रूप से प्रवास करते हैं,...

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काबे किस मुंह से जाओगे गालिब…

-आउटलुक, कोरोना सबकी कलई खोलता जा रहा है... हमारे शायर कृष्ण बिहारी नूर ने कहा है : सच घटे या बढ़े तो सच ना रहे/ झूठ की कोई इंतहा ही नहीं. कोरोना इसे सही साबित करने में लगा है। कोई है जो दस नहीं हजार मुख से चीख-चीख कर कह रहा है कि न अस्पतालों की कमी है, न बिस्तरों की; न वैक्सीन कहीं अनुपलब्ध है, न कहीं डॉक्टरों-नर्सों की कमी है। वह बार-बार कह रहा है...

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