महंगाई झेलना चाहते हैं या मंदी? अपनी तकलीफ चुन लीजिए. फिलहाल तो दोनों ही बढ़ने वाली हैं. रिजर्व बैंक के अनुसार, अगले तीन माह में जेबतराश महंगाई बढ़ेगी. और इस साल की दूसरी तिमाही में विकास दर 4.5 फीसद इस ढलान का अंतिम छोर नहीं है. अगले छह माह में मंदी गहराएगी. इस साल पांच फीसद की विकास दर भी नामुमकिन है. बचत, खपत और निवेश में कमी से बनी यह मंदी...
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रिपोर्ट/मंदी से निपटने के लिए ब्याज दरें घटाना काफी नहीं, सरकार को ग्रामीण इलाकों में खर्च बढ़ाना चाहिए
मुंबई. देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा मंदी से निपटने के लिए आरबीआई की उदार मौद्रिक नीति काफी नहीं। इसके बजाय सरकार को ग्रामीण इलाकों में मांग बढ़ाने के उपाय करने चाहिए। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना, मनरेगा और पीएम-किसान जैसी योजनाओं के जरिए खर्च बढ़ाना चाहिए। एसबीआई की रिपोर्ट सोमवार को सामने आई। दैनिक भास्कर पर प्रकाशित इस कथा को विस्तार से...
More »सारधा चिटफंड घोटाले से बर्बाद हो चुके लोगों की चर्चा क्यों नहीं होती?- उमेश कुमार राय
कोलकाता: करोड़ों रुपये के सारधा चिटफंड घोटाले के संबंध में कोलकाता पुलिस के कमिश्नर राजीव कुमार के घर छापेमारी करने गई सीबीआई की टीम को कोलकाता पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्र की मोदी सरकार आमने-सामने आ गई. तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा सरकार पर संघीय ढांचे को ध्वस्त करने का आरोप लगा कर धरना प्रदर्शन किया,...
More »किसानों को मिले दीर्घकालिक हल-- आशुतोष चतुर्वेदी
मोदी सरकार की ओर से पेश किया गया अंतरिम बजट वैसे तो समाज के हर वर्ग को साधने वाला है, लेकिन यह छोटे किसानों पर विशेष मेहरबान है. अंतरिम वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने बजट में किसानों, मजदूरों और मध्य वर्ग को ध्यान में रखते हुए कई घोषणाओं का एलान किया. यह मौजूदा सरकार का अंतिम बजट था. वैसे तो अंतरिम बजट में अगली सरकार चुने जाने तक के खर्च...
More »खुदरा मुद्रास्फीति 18 माह के निचले स्तर पर, खाद्य वस्तुएं सस्ती होने से संकट में किसान
नई दिल्ली: खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर, 2018 में घटकर 2.19 प्रतिशत पर आ गई है. यह इसका 18 महीने का निचला स्तर है. फल, सब्जियां और ईंधन कीमतों में गिरावट से मुद्रास्फीति घटी है. सब्जियों वगैरह के दामों में गिरावट आने का मतलब है कि किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है. इसकी वजह से किसानों को संकट का सामना करना पड़ सकता है. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट...
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