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किसानों ने एक बार फिर किया दिल्ली का रुख़, 26 को 'कृषि बचाओ, लोकतंत्र बचाओ दिवस'

-न्यूजक्लिक,  दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के आंदोलन को सात महीने पूरे होने पर 26 जून को होने वाले 'कृषि बचाओ, लोकतंत्र बचाओ दिवस' के लिए बड़ी संख्या में किसान अपने ट्रैक्टर-ट्रालियों से पहुंचने लगे हैं। यूपी और राजस्थान समेत सभी राज्यों से किसानों के बड़े जत्थे एक बार फिर दिल्ली के बॉर्डर पर पहुंच रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने बृहस्पतिवार को कहा कि पिछले साल लागू किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ...

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किसान हित के दावों के बीच सरकार ने लक्ष्य के मुकाबले छह फीसदी से भी कम दालें और तिलहन खरीदा

-द वायर, मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ छह महीने से भी अधिक समय से चल रहे आंदोलनों के बीच केंद्र ने साल 2021-22 की खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा की है. भाजपा और केंद्र सरकार इस मौके को किसानों के प्रति अपनी छवि सुधारने के रूप में इस्तेमाल कर रही है, जहां केंद्रीय मंत्रियों से लेकर भाजपा के नेता एवं कार्यकर्ता तक प्रधानमंत्री नरेंद्र...

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किसानों के आन्दोलन के छः महीने : इस सरकार में अंग्रेजों जितनी शर्म भी नहीं

-द प्रिंट, केन्द्र सरकार के तीन विवादित कृषि कानूनों को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी के लिए कानून बनाने की मांगों को लेकर राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसानों का आन्दोलन छब्बीस मई को छः महीने पुराना हो जायेगा. सरकार की हर चन्द कोशिश के बावजूद इस दौरान किसान न थकने को तैयार हैं, न झुकने को. बदलते मौसमों के साथ गर्मी, जाड़ा व बरसात और महामारी के...

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“मोदी ने देश को घुटनों पर ला दिया”: टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा

-आउटलुक, तृणमूल काग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा मोदी सरकार की प्रखर आलोचक हैं। हाल के चुनावी नतीजों, केंद्र सरकार के सात साल के कामकाज, मौजूदा दौर में उसकी छवि, कोविड की दूसरी लहर और केंद्र-राज्य संबंध जैसे विषयों पर आउटलुक के प्रीता नायर ने उनसे बात की। मुख्य अंश: हाल के वर्षों में केंद्र-राज्य संबंधों को आप कैसे देखती हैं? इस सरकार ने संघीय ढांचे को तार-तार कर दिया है। इसके दो कानूनों को लीजिए- एनआइए और...

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कुंभ 2021: क्या नेताओं के लिए ग्रहों की चाल आम ज़िंदगियों से ज़्यादा महत्वपूर्ण है

-द वायर, कुंभ मेला हर बारह साल पर होता है. हरिद्वार का पिछला कुंभ 2010 में हुआ था. हरिद्वार के वर्तमान कुंभ मेले की वास्तविक तारीख 2022 थी, 2021 नहीं. फिर इसकी तारीख को पूरे एक साल घटाकर इसका आयोजन उस जानलेवा साल में क्यों हुआ, जब भारत में कोविड की दूसरी लहर की आशंका जताई जा रही थी, और जब महामारियों के अध्ययन हमें बताते हैं कि संक्रमणों की दूसरी लहर हमेशा...

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