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देश में आरटीआई कार्यकर्ताओं पर बढ़ रहे हमलों के बीच जवाबदेही क़ानूनों की ज़रूरत है

-द वायर, सूचना का अधिकार (आरटीआई) लंबे समय में देश में भ्रष्ट यथास्थिति को उजागर करने का एक जरिया बना हुआ है. ऐसी ही एक घटना हाल ही में राजस्थान में हुई. किसान और आरटीआई कार्यकर्ता अमराराम गोदारा का बाड़मेर से 21 दिसंबर को सफेद रंग की स्कॉर्पियो में अपहरण कर लिया गया था. उन्हें बेरहमी से पीटा गया और लगभग मरणासन्न अवस्था में उनके घर के पास फेंक दिया गया. उन्हें कई...

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म्यांमार में सैन्य कू के बाद बच कर मिजोरम आए शरणार्थियों के बिगड़ रहे हालात

-कारवां, फरवरी 2021 में म्यांमार में सैन्य तख्तापलट होने के बाद भारत आने वाले शरणार्थियों में से एक 57 वर्षीय न्गुंचन ने मुझे बताया कि “गांव में गोलीबारी चल रही थी और गोलियां खिड़की से होकर गुजर रही थीं. हम सोफे के नीचे छिप गए. जब थोड़ी शांति हुई तो हम भूखे पेट जंगल की ओर भागे. हम बहुत डरे हुए थे. मेरे पति नहीं रहे. मैं और मेरी बेटी इस बात...

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ग्लोबल उथल पुथल के बीच अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए बुनियादी बातों पर भी ध्यान देना जरूरी

-द प्रिंट, दुनियाभर में मौद्रिक नीति में बदलावों के कारण शेयर बाजारों में इन दिनों उथलपुथल चल रही है. अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने भी मौद्रिक नीति में सामान्यीकरण का संकेत दिया तो रुपये पर दबाव बढ़ गया. पिछले कुछ महीनों से कीमतों में तेजी के कारण कई बड़े देशों के केंद्रीय बैंक सामान्यीकरण की नीति अपनाने लगे हैं. मुद्रास्फीति जब नयी ऊंचाई को छूने लगी तो अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने इस महीने...

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शहरीकरण, लैंगिक और सामाजिक परिवर्तन: महिलाओं की राजनीतिक वरीयताओं को आकार देने में मीडिया की भूमिका

-आइडियाज फॉर इंडिया, राजनीतिक वरीयताओं को तय करने में सूचना स्रोतों की क्या भूमिका होती है, और किन परिस्थितियों में महिलाएं अपनी राजनीतिक राय बनाने के लिए पुरुषों से अलग संज्ञानात्मक सोच रखती हैं? इसका पता लगाने हेतु, उत्तर भारत के दो शहरी समूहों के किये गए सर्वेक्षण डेटा का उपयोग करते हुए, यह लेख दर्शाता है कि रोजगार या अन्य गतिविधियों के माध्यम से घर के बाहर के महिलाओं के नेटवर्क का...

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देश में श्रम भागीदारी दर में आई गिरावट को नीति-निर्माता नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते

-द वायर, जबकि राष्ट्रीय उत्पादन एक बार फिर महामारी पूर्व के स्तर पर आ गया है, कुछ समय से भारत में रोजगार की दर का नाटकीय ढंग से गिरकर ऐतिहासिक न्यूनतम स्तर- 42 फीसदी के आस-पास होना एक अनसुलझी पहेली बनकर रह गया है. यह सभी तुलनीय एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में सबसे कम है जहां श्रम भागीदारी अनुपात या नौकरी मांगनेवाले सक्रिय लोगों का अनुपात अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के नीचे दिए गए...

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