अगर आम चुनाव में नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी की जीत दुनिया की सबसे बड़ी जीत है, तो विपक्षी दलों की हार को क्यों न दुनिया की सबसे बड़ी हार मान लिया जाए? यह तय है कि विपक्षी दल इस तरह के तर्क को स्वीकार नहीं करेंगे, लेकिन बहुत से लोग ऐसा मान चुके हैं और शायद इसीलिए विपक्ष को मिलने वाली लानतों का ढेर लगातार ऊंचा होता जा रहा...
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मतदान से पहले कितना सोचते हैं हम-- बीजू डॉमिनिक
क्या वोटिंग एक तर्कसंगत प्रक्रिया है? यदि ऐसा है, तब तो आम मतदाता अपने फैसले पर पहुंचने से पहले काफी सोच-विचार करता होगा। मसलन, उम्मीदवार किस पार्टी से हैं? साल 2014 में जो पार्टी सत्ता में आई थी, उसने क्या-क्या वादे किए थे? उनमें से कितने प्रतिशत वादे पूरे हुए? उन्होंने जो वादे किए थे, उन्हें पूरा न कर पाने के लिए क्या उनके पास वाजिब वजहें हैं? किस पार्टी...
More »बुनियादी आय गारंटी योजना-- आकार पटेल
छोटे किसानों को प्रतिवर्ष 6,000 रुपये नकद देने की योजना की सरकारी घोषणा एक शानदार कदम माना जा रहा है, जिससे चुनाव में राजनीतिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है. बजट में घोषित इस योजना के पहले दो बातें हुई हैं. पहली वह रिपोर्ट, जिसे सरकार ने दबा दिया है, जो कहती है कि बेराजगारी दर 45 वर्षों में सर्वाधिक है. दूसरी यह कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी न्यूनतम...
More »इस साल बढ़ेगा जीडीपी का आकार-- डा. जयंतीलाल भंडारी
विभिन्न आर्थिक चुनौतियों के बीच 2018 की तुलना में 2019 में भारत की जीडीपी का आकार बढ़ेगा. परिणामस्वरूप भारत की संभावित विकास दर भी 7.5 फीसदी से अधिक होगी. साथ ही दुनिया के परि²दृश्य पर 2019 में भी भारत सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा. वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमत घटकर 50 डॉलर प्रति बैरल हो जाने से भी भारतीय अर्थव्यवस्था को भारी लाभ होगा. साथ ही वर्ष...
More »क्या न्यायपालिका ही अंतिम आसरा है-- शशिशेखर
गुजरे हफ्ते जब सुप्रीम कोर्ट हुक्मरानों को लताड़ रहा था- आप भीड़ को इंसाफ करने का हक नहीं दे सकते, भीड़ की हिंसा रोकने के लिए कानून बनाइए और ऐसे मामलों से सख्ती से निपटिए, तो माननीय न्यायमूर्तिगण को मालूम न था कि सैकड़ों किलोमीटर दूर एक गुमनाम से शहर पाकुड़ में दूसरी पटकथा रची जा रही है। कुछ घंटे बाद हमने टीवी के परदे पर 78 साल के...
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