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जहर की खेती कब तक

मानव स्वास्थ्य : कीटनाशकों के अधिक प्रयोग से खाने-पीने के सामान हुए जहरीले यूरोप में भारतीय आम पर प्रतिबन्ध ने नीति निर्घारकों को सोचने का एक और मौका दिया है। रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों के दुष्प्रभावों के खिलाफ पत्रिका लम्बे समय से मुहिम चलाता रहा है। अनेक शोध और अध्ययन बताते रहे हैं कि खाने-पीने की चीजों में जहर फैलता जा रहा है। सरकार से लेकर आम उपभोक्ता तक सभी को...

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कहानी कुछ जैविक ग्रामों की- अमृतांज इंदीवर

अंधाधुंध पेस्टीसाइड्स व फर्टिलाइजर के उपयोग से मिट्टी, पानी व हवा ऊसर होते जा रही है। जहां किसान पहले खेतों में नाइट्रोजन की मात्रा 3-5 किलो प्रति कट्ठा के हिसाब से देते थे, वहीं आज 10-20 किलो प्रति कट्ठा के हिसाब से दिया जा रहा है। इसकी वजह से धरती पर ग्रीन हाउस बन रहा है और ग्लोबल वार्मिंग के खतरे बढ़ रहे हैं। यह परिस्थितिकीय चक्र को प्रभावित कर रहा है। परिणामस्वरूप खेत बंजर हो रहे हैं,...

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हर जिले में नहीं होती है मिट्टी की जांच

राज्य की 80 प्रतिशत जनता गांवों में रहती है और उसमें भी 80 प्रतिशत लोग सीधे तौर पर खेती से जुड़े हैं. खेती ही ऐसे लोगों की जीविका का मूल आधार है. इसके बाद भी खेती के विकास को लेकर हमारा सरकारी महकमा गंभीर नहीं है. कृषि में उत्पादकता बढ़ाने के लिए द्वितीय हरित क्रांति, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, राष्ट्रीय बागवानी मिशन आदि कई केंद्र प्रायोजित योजनाओं...

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मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड

सरकार का प्रयास है कि 2013 तक देश का हर किसान मृदा (मिट्टी) स्वास्थ्य कार्ड का उपयोग करने लग जाए। इस क्रम में अब तक 48 करोड़ किसानों को यह कार्ड उपलब्ध करा दिया गया है। इस योजना की शुरुआत 2008-09 के दौरान राष्ट्रीय मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरा प्रबंधन परियोजना की ओर से की गई। मिट्टी की गुणवत्ता की जांच के लिए पूरे देश में 1,049 प्रयोगशालाएं स्थापित की गई...

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किसानों को उन्नत खेती के गुर सिखाये

लखनऊ, 18 मार्च: इफको द्वारा मोहनलालगंज के तमोरिया गांव में फसल विचार एवं ग्राम उत्थान विषयक संगोष्ठी आयोजित हुई। इसमें गांव वालों को उन्नत खेती के बारे में बताया गया और खेतों में प्रदर्शन कर दिखाया गया। किसानों को संतुलित उर्वरक प्रयोग के लिए प्रेरित किया गया। इस दौरान किसानों को उन्नत कृषि यंत्र, महिलाओं को सिलाई मशीन व टार्च आदि वितरित किया गया। संगोष्ठी में मृदा वैज्ञानिक डा. केएन तिवारी ने भूमि की कम...

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