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नर्मदा पर रार- शिरीष खरे(तहलका हिन्दी)

नरेंद्र मोदी और शिवराज सिंह चौहान अपने-अपने राज्यों के सूखे इलाकों में नर्मदा का पानी पहुंचाना चाहते हैं. क्या उनकी यह महत्वाकांक्षी कावेरी जल विवाद जैसी अंतहीन समस्या खड़ी करने वाली है? शिरीष खरे की रिपोर्ट. भले ही गुजरात और मध्य प्रदेश में एक ही पार्टी भारतीय जनता पार्टी की सरकार हो लेकिन नर्मदा को लेकर दोनों राज्य द्वंद्व और टकराव के मुहाने पर खड़े हैं. पानी के बंटवारे को लेकर गुजरात...

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मेधा की गिरफ्तारी का विरोध, प्रदर्शन करेंगे किसान

अंबरीश कुमार, लखनऊ। समाजवादी पार्टी मंगलवार को सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर और किसान नेता सुनीलम के समर्थन में खुल कर सामने आई और मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार को पूंजीपतियों के साथ खड़ा होने और किसानों की जमीन छीनने वाला बताया। समाजवादी पार्टी ने आज यहां कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर की गिरफ्तारी और किसान नेता  सुनीलम को उम्रकैद की सजा से साफ है कि कांग्रेस और भाजपा की...

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मेधा पाटकर को जेल भेजे जाने पर भड़के किसान

अंबरीश कुमार, लखनऊ। सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को रविवार की आधी रात  सत्याग्रह से उठाकर गिरफ्तार कर छिंदवाड़ा जिले में जेल भेजे जाने का कई किसान संगठनों और जन संगठनों ने विरोध किया है। किसान मंच, भारतीय किसान यूनियन, किसान संघर्ष समिति, इंसाफ के अलावा गांधीवादी और समाजवादी संगठनों ने भी मेधा पाटकर की गिरफ्तारी का विरोध किया है। किसान संगठन इसके विरोध में कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन करने जा रहे...

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कमलनाथ के क्षेत्र में बिना मंजूरी के बन रहा है बांध..

अंबरीश कुमार, लखनऊ। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश सीमा पर स्थित पेंच नदी पर 41 मीटर का बड़ा बांध केंद्रीय मंत्री कमलनाथ के निर्वाचन क्षेत्र में बिना केंद्र सरकार की मंजूरी के बन रहा है। यह आरोप जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय की सदस्य मेधा पाटकर ने लगाया है। मेधा पाटकर ने पेंच परियोजना के खिलाफ आंदोलन छेड़ने से पहले जनसत्ता से बात करते हुए यह जानकारी दी। इस परियोजना में बांध क्षेत्र...

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गरीबों के पैसों से आंदोलन!- तवलीन सिंह

प्रधानमंत्री ने अपने खास उदारवादी अंदाज में गैरसरकारी संस्थाओं (एनजीओ) को फटकार क्या लगाई कि हाय-दुहाई मच गई। वही संस्थाएं जो बेझिझक आरोप लगाती हैं राजनीतिकों पर, पत्रकारों पर, उद्योगपतियों पर और न जाने किस किस पर। जब उनकी बारी आई, तो हल्ला मचाना शुरू कर दिया। क्या सिर्फ एनजीओ ही हैं इस विशाल देश में, जो दूध के धुले हैं? क्या उनसे इतना भी नहीं पूछा जा सकता कि...

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