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सवा लाख कैदियों की रिहाई से जेलें हुई हल्की

नई दिल्ली [माला दीक्षित]। देश में न्यायिक सुधार लागू हो रहे हैं या नहीं, अगर इसका जवाब जानना है तो उन लोगों से पूछिए, जिन्हें सजा से ज्यादा कैद भुगतने के लंबे अरसे बाद रिहाई नसीब हुई है। पिछले तीन महीनों में देश की विभिन्न जेलों में बंद करीब सवा लाख विचाराधीन कैदी रिहा किए गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा 29 हजार लोग उत्तर प्रदेश में रिहा हुए हैं। न्यायिक...

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हिरासत में मौत के लिए राज्य जिम्मेदार

मुजफ्फरनगर, 06 मई (वेबवार्ता)। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने हिरासत में मृत्यु के मामले में सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य की मानते हुए एक मामले में हिरासत में हुई विचाराधीन कैदी की मौत पर उसके परिजनों को एक लाख रुपए की आर्थिक मदद देने का आदेश दिया। हिरासत में कैदी की मौत के मामले में दो अभियुक्तों को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। सरकारी सूत्रों ने बताया कि विचाराधीन कैदी दिनेश की हत्या के मामले में मानवाधिकार...

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न्याय:कितना दूर-कितना पास

  खास बात  • साल २००९ के अप्रैल महीने तक सर्वोच्च न्यायालय में लंबित मुकदमों की संख्या ५०१४८ थी। केसों के निपटारे की गति बढ़ी है मगर शिकायतों के आने की गति और जजों की संख्या केसों के आने की गति की तुलना में अपर्याप्त साबित हो रही है।*  • दो साल पहले यानी साल २००७ के जनवरी महीने में सुप्रीम कोर्ट में लंबित केसों की संख्या ३९७८० थी। सुप्रीम कोर्ट लंबित केसों के निपटारे में तेजी लाने असहाय महसूस...

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मानवाधिकार

   खास बात  • साल 2014 में बुजुर्गों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार की घटनाओं में तेज इजाफा हुआ। पिछले (साल के 23 प्रतिशत से बढ़कर 2014 में 50 प्रतिशत) * • भारत की आबादी का 1.14 प्रतिशत हिस्सा यानी तकरीबन 1 करोड़ 40 लाख लोग गुलामी के आधुनिक रुपों के शिकार हैं। ** • साल २००६ में भारत में १४२३ कैदियों की प्राकृतिक अथवा अप्राकृतिक कारणों से जेलों में मौत हुई।*** •  उत्तरप्रदेश में...

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