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हिमालय पर संकट: आपदाओं पर अंकुश के लिए पारंपरिक ज्ञान और स्थानीय समुदायों की भागीदारी जरूरी

डाउन टू अर्थ, 11 अक्टूबर हिमालय में बढ़ती आपदाओं पर अंकुश लगाने के लिए ग्राम पंचायतों और स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर योजनाएं बनानी होंगी और स्थानीय लोगों के पारंपरिक ज्ञान को आधार बनाना होगा। हिमालय के पर्यावरण पर काम कर रही संस्था हिमधरा पर्यावरण समूह द्वारा ‘हिमालय में आपदा-निर्माण’ नामक रिपोर्ट का सारांश यही है। यह रिपोर्ट 10 अक्टूबर 2023 को जारी की गई। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में भूस्खलन के...

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बांध सुरक्षा और पूर्व चेतावनी प्रणाली की अनदेखी ने बनाया सिक्किम की बाढ़ को घातक

मोंगाबे हिंदी,10 अक्टूबर साल 2011 में सिक्किम में आए 6.9 तीव्रता के भूकंप की याद में हर साल 18 सितंबर को राज्य में आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस साल भी तीस्ता नदी में आने वाली बाढ़ को लेकर तैयारियों पर ध्यान दिया गया। लेकिन कुछ हफ़्तों के बाद ऐसा हुआ जिसका राज्य और बांध अधिकारियों को आपदा के पैमाने का अनुमान नहीं तक था। यह...

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अब तक का सबसे गर्म साल रहा 2023, नासा ने की आधिकारिक घोषणा

डाउन टू अर्थ, 15 सितम्बर नासा के गोडार्ड इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस स्टडीज (जीआईएसएस) के वैज्ञानिकों के मुताबिक, 1880 में वैश्विक रिकॉर्ड शुरू होने के बाद से 2023 सबसे अधिक  गर्म साल रहा। नासा के रिकॉर्ड में जून, जुलाई और अगस्त के महीने किसी भी अन्य गर्म महीनों की तुलना में 0.23 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म रहे और 1951 से 1980 के बीच की औसत गर्मियों की तुलना में 1.2 डिग्री सेल्सियस अधिक...

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संदिग्ध है नैनो यूरिया का प्रभाव, इफको पर झूठा दावा करने का आरोप : शोध

डाउन टू अर्थ, 23 अगस्त देश की सबसे बड़ी खाद निर्माता कंपनी इंडियन फॉर्मर्स फर्टिलाइजर को-ऑपरेटिव (इफको) ने नोवेल नाइट्रोजन फर्टिलाइजर नैनो तरल यूरिया लांच करते हुए यह प्रचार किया था कि यह पूरी तरह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है। हालांकि एक हालिया ओपिनियन पेपर ने इसकी वैज्ञानिक प्रमाणिकता पर सवाल उठाते हुए अपने निष्कर्ष में कहा है नैनो यूरिया में शायद ही कोई विशेषता हो जो वैज्ञानिक रूप से सिद्ध...

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चावल की उपज पर मंडरा रहा खतरा, अगस्त की बारिश करेगी फैसला

डाउन टू अर्थ, 21 अगस्त  जून और जुलाई में देश के कई हिस्सों में हुई कम वर्षा के चलते चावल उत्पादन पर खतरा मंडरा रहा है। हालांकि, उड़ीसा के कटक स्थित राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान में कृषि मौसम वैज्ञानिक देबाशीष जेना ने डीटीई को बताया कि"उत्पादन तभी प्रभावित होगा जब मानसून कोर जोन में मानसून खराब होगा, क्योंकि वहां फसल ज्यादातर वर्षा पर आधारित होती है।" भारत में कोर मानसून क्षेत्र पश्चिम...

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