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मोदी सरकार द्वारा धीरे-धीरे मनरेगा का गला घोंटने का काम किया जा रहा है

द वायर, 26 फरवरी  केंद्र की भाजपा नेतृत्व वाली मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के आवंटन में सबसे भारी कटौती मौजूदा बजट में की गई है. इस मद में सिर्फ 60,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जो कि अब तक की सबसे कम राशि है. इसके अलावा मनरेगा के तहत ऐप आधारित हाजिरी दर्ज करने की प्रणाली – नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग...

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2019-21 के बीच आत्महत्या करने वालों में दैनिक वेतन भोगियों और गृहिणियों की संख्या सर्वाधिक

द वायर, 15 फरवरी श्रम और रोजगार मंत्रालय ने सोमवार (14 फरवरी) को एक सवाल के जवाब में लोकसभा को बताया कि 2019 और 2021 के बीच देश भर में आत्महत्या से मरने वाले लोगों की सबसे बड़ी श्रेणी दैनिक वेतन भोगी (दिहाड़ी) लोगों की है. आत्महत्या के मामले में दूसरी सबसे बड़ी श्रेणी गृहिणियों की है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के डेटा के मुताबिक, स्व-नियोजित व्यक्तियों, बेरोजगारों और छात्रों की...

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बंधुआ मजदूरों की संख्या और पुनर्वास के आंकड़ों में राज्य सरकारों की हेराफेरी

न्यूजलौंड्री, 10 फरवरी साल 2019-20 में आठ राज्यों में बंधुआ मज़दूरी का कोई मामला सामने नहीं आया है. यह जानकारी भारत सरकार ने राज्य सभा में दी है. दो फरवरी को कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) के राज्यसभा सांसद बिनॉय विश्वम ने बंधुआ मजदूरों को लेकर सवाल किया था. बिनॉय ने साल 2019 से देश के अलग-अलग राज्यों में मुक्त कराए गए और पुनर्वासित किए गए बंधुआ मजदूरों के आंकड़े मांगे थे,...

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मनरेगा पर संकट के बादल

हाल ही में पेश किए गए बजट के बाद पक्ष-विपक्ष की अतिवादी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। इन बयानबाजियों में सबसे ज्यादा ध्यान मनरेगा ने खींचा है। बजट में मनरेगा के लिए आवंटित बजट, 2022-23 के संशोधित अनुमान की तुलना में काफी कम है। यह कमी करीब 33 प्रतिशत के आस–पास ठहरती है। सरकार के पास इस कटौती को जायज ठहराने के अपने तर्क हैं और विपक्ष व सामाजिक संगठनों की अपनी...

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असर (ASER) की रिपोर्ट: शिक्षा के क्षेत्र में बेटा-बेटी के बीच भेदभाव अभी जारी

जनचौक, 8 फरवरी देश में अभी भी लड़कों की तुलना में लड़कियों की शिक्षा पर कम जोर दिया जा रहा है। असर की चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। असर की अतिरिक्त रिपोर्ट के मुताबिक देश में लड़कियों की तुलना में 15-25% अधिक लड़के निजी स्कूलों में पढ़ने जाते हैं। वहीं प्राथमिक विद्यालयों में लड़कियों की तुलना में लगभग 52 लाख अधिक लड़के पढ़ने जाते हैं। मतलब साफ है कि लगभग...

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