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भारत को उम्मीद है कि 2030 तक सभी प्राथमिक और लोअर सेकेंडरी स्कूली बच्चे शिक्षित हो जाएंगे: यूनेस्को रिपोर्ट

-द प्रिंट, भारत को उम्मीद है कि 2030 तक सभी के लिए ‘गुणवत्तापूर्ण शिक्षा’ के सतत विकास लक्ष्य -4 (एसडीजी) पर नज़र रखने वाली यूनेस्को की रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक प्राथमिक और लोअर सेकेंडरी स्तर के सभी बच्चे शिक्षित हो जाएंगे. 24 जनवरी को अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के अवसर पर पेरिस में जारी वैश्विक शिक्षा मॉनिटरिंग रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ. लेकिन ये लक्ष्य उस महामारी के लिये उत्तरदायी नहीं हैं, जिसने...

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बुंदेलखंड में कुपोषण की समस्या पर नीति निर्माताओं को जरूर ध्यान देना चाहिए!

हाल की मीडिया रिपोर्ट्स यह बताती हैं कि आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र को लगभग रु. 6,300 करोड़ की परियोजनाओं की घोषणाएं की गई हैं, जिनमें झांसी में टैंक रोधी मिसाइलों के प्रणोदन प्रणाली के लिए 400 करोड़ रुपये का संयंत्र भी शामिल है. 18 नवंबर, 2021 को झांसी नोड (उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारे से संबंधित) में पहली परियोजना के लिए नींव...

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शहरीकरण, लैंगिक और सामाजिक परिवर्तन: महिलाओं की राजनीतिक वरीयताओं को आकार देने में मीडिया की भूमिका

-आइडियाज फॉर इंडिया, राजनीतिक वरीयताओं को तय करने में सूचना स्रोतों की क्या भूमिका होती है, और किन परिस्थितियों में महिलाएं अपनी राजनीतिक राय बनाने के लिए पुरुषों से अलग संज्ञानात्मक सोच रखती हैं? इसका पता लगाने हेतु, उत्तर भारत के दो शहरी समूहों के किये गए सर्वेक्षण डेटा का उपयोग करते हुए, यह लेख दर्शाता है कि रोजगार या अन्य गतिविधियों के माध्यम से घर के बाहर के महिलाओं के नेटवर्क का...

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सरकार ने राज्यसभा को बताया-CBSE स्कूलों के 327 टीचर और स्टाफ ने कोरोना से गंवाई जान

-द प्रिंट, शिक्षा राज्य मंत्री (एमओएस) सुभाष सरकार ने बुधवार को राज्यसभा को बताया कि सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों के 300 से अधिक शिक्षकों और कर्मचारियों की मौत कोविड-19 के कारण हुई है. हालांकि, उन्होंने कहा कि इनमें से किसी भी शिक्षक की मौत ‘कोविड ड्यूटी’ के दौरान नहीं हुई. उन्होंने इस संबंध में राज्य से संबंधित डेटा साझा नहीं किया. सुभाष सरकार संसद में राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज कुमार...

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शहरीकरण, लैंगिक और सामाजिक परिवर्तन: क्या कामकाजी महिलाएं अधिक स्वायत्तता अनुभव करती हैं?

भारत में महिलाओं की कार्य में सीमित भागीदारी न केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका असर उनके कल्याण और सामाजिक स्थिति पर भी होता है। यह लेख, उत्तर भारत के चार शहरी समूहों में किये गए एक घरेलू सर्वेक्षण के आधार पर, महिलाओं की कामकाजी स्थिति और पारिवारिक निर्णय के बारे में उनके स्वायत्तता के बीच एक मजबूत संबंध पाता है, जो भारत में महिलाओं और कामकाज के बीच...

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