इस समय जब लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया लगभग खत्म होने को है, तब अनेक मंत्रालयों को उन कार्यों की सूची बनाने के लिए कहा जाना चाहिए, जिनको भावी सरकार द्वारा पहले 100 दिनों में शुरू या पूरा कर लेना चाहिए। जो भी सरकार केंद्र की सत्ता में आए, उसे यह दिखाना होगा कि सामाजिक प्रभाव उसकी प्राथमिकता है। हम अभी मई के महीने में हैं और जून की शुरुआत या...
More »SEARCH RESULT
राजनीतिक एजेंडे में पर्यावरण क्यों नहीं-- नवरोज के दुबाश
भारत में पर्यावरण की हालत काफी भयावह है। इससे जुड़े आंकडे़ परेशान करने वाले हैं। मसलन, देश की हर पांच में से तीन नदियां प्रदूषित हैं। ज्यादातर ठोस कचरों का निस्तारण नहीं किया जाता; यहां तक कि देश के समृद्ध हिस्सों में भी नहीं। मुंबई में 90 फीसदी, तो दिल्ली में 48 फीसदी कचरों का निस्तारण नहीं हो पाता। फिर, देश की तीन-चौथाई आबादी उन हिस्सों में बसती है, जहां...
More »एमएसपी बढ़े तो किसान की आमदनी भी बढ़े, कोई जरुरी तो नहीं !
समर्थन मूल्य के बढ़ने पर क्या इस बात की गारंटी हो जाती है कि किसान को ऊपज का लाभकर मूल्य ही जायेगा ? और, क्या न्यूनतम समर्थन मूल्य के बढ़वार का खाद्य-वस्तुओं की महंगाई से कोई सीधा रिश्ता है, जैसा कि अर्थशास्त्रियों का एक तबका अक्सर तर्क देता है ? अगर आप सोच रहे हैं कि हां, ऐसा हो सकता है तो फिर नीचे लिखे तथ्यों को गौर से पढ़िये- हो सकता है,...
More »पर्यावरण मंत्रालय के बाहर प्रदर्शन, जानें कितने खतरनाक स्तर पर पहुंचा प्रदूषण
नयी दिल्ली : प्रदूषण में खतरनाक स्तर तक बढ़ोतरी और ऐसे में स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती चिंताओं को लेकर लोगों के एक समूह ने मंगलवार को पर्यावरण मंत्रालय के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया. इंदिरा पर्यावरण भवन के बाहर प्रदर्शनकारियों ने हाथों में पोस्टर ले रखे थे जिन पर लिखा था ‘दिल्ली की हवा जहरीली है', ‘सांस लेने से जान जा रही है', ‘सांस लेना मेरा अधिकार' जैसे नारे लिखे...
More »ऐसे तो नहीं खत्म होगा प्रदूषण- प्रार्थना बोराह
दिल्ली-एनसीआर की हवा के बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंचते ही सरकार हरकत में आ गई है। कहा गया है कि अगर वायु गुणवत्ता सूचकांक इसी हद तक खतरनाक बना रहा, तो निजी गाड़ियों पर प्रतिबंध और निर्माण-कार्यों पर पूरी तरह रोक लगाई जा सकती है। इस तरह के आपात उपायों की हमें जरूरत भी है, क्योंकि हमारे आसपास की आबोहवा विषैली बन चुकी है और हर कोई सांस की समस्या,...
More »