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...तो नामी प्राइवेट स्कूलों में पढेंगे गरीबों के बच्चे- शैलेन्द्र श्रीवास्तव

गरीबों के बच्चों का नामी-गिरामी प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने का सपना अब साकार हो सकेगा। राज्य सरकार प्राइवेट स्कूल की 25 फीसदी सीटों पर ऐसे बच्चों को दाखिला देने के लिए पूर्व में तय मानकों में बदलाव की तैयारी कर रही है। अगले सत्र के लिए दाखिले से पहले संशोधित आदेश जारी कर दिया जाएगा। प्रारंभिक रूप से निजी स्कूलों में दाखिले के लिए सरकारी स्कूलों से प्रमाण पत्र लेने की...

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आदिम युग जैसी सुविधाएं, कहीं स्टोर रूम तो कहीं पेड़ के नीचे लगती है क्लास

अजमेर/जयपुर. राज्य में सरकारी स्कूलों पर खर्च बढ़ता जा रहा है, लेकिन स्कूलों के इंफ्रास्ट्रक्चर और शिक्षा की गुणवत्ता में कोई बदलाव नहीं हो रहा है। पांचवीं और आठवीं कक्षा वाले स्कूलों में बच्चों को बैठने के लिए कुर्सी टेबल नहीं हैं। शिक्षकों को भी कुर्सी बमुश्किल ही मिलती है। पेड़े के नीचे, बरामदे या ऊबड़-खाबड़ जमीन पर ही बैठाकर बच्चों को पढ़ाया जाता है। 5 हजार स्कूलों में टॉयलट...

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‘हिंदी प्रदेश’ की पहचान के मायने- शैबाल गुप्ता

शैबाल गुप्ता जाने-माने अर्थशास्त्री और एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट (आद्री) के सदस्य सचिव हैं. पिछले दिनों इलाहाबाद स्थित गोविंद बल्लभ पंत सोशल साइंस इंस्टीट्यूट ने उन्हें 29वें ‘गोविंद बल्लभ पंत मेमोरियल लेक्चर' में व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया था. इस अवसर पर बोलने के लिए उन्होंने जो विषय चुना, उसका शीर्षक था- ‘आइडिया ऑफ द हिंदी हार्टलैंड'. हिंदी में इसे ‘हिंदी प्रदेश की धारणा' कहा जा सकता है. इस...

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'स्मार्ट सिटी' से हम क्या समझें? - डॉ. पीके चांदे

हमारे देश के राष्ट्रीय एजेंडे में 'स्मार्ट सिटी" को लेकर चर्चा होने लगी है। हालांकि हमारे विकास मॉडल अभी भी पूरी तरह स्पष्ट और नियोजित नहीं हैं। हम विकास के मामले में अपने पड़ोसियों से होड़ तो लेना चाहते हैं, लेकिन संभवत: जापान जैसे विकसित देशों के कुछ रेडीमेड मॉडलों को अपनाते हुए। क्या हम भूल रहे हैं कि हमारी स्थानीय परिस्थितियां जुदा हैं और इस तरह की पुनर्संयोजन व्यवस्था...

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शिक्षा को नवोन्मेषी बनाने की चुनौती- गिरीश्वर मिश्र

आधुनिक भारत में विश्वविद्यालय स्तर पर शिक्षा का आरंभ हुए एक शताब्दी से अधिक का समय बीत चुका है। स्वतंत्रता मिलने के बाद इसे प्रोत्साहन मिला और धीरे-धीरे सरकार द्वारा विश्वविद्यालय, कॉलेज और विभिन्न प्रकार के ‘प्रोफेशनल' शिक्षा देने वाले तकनीकी, मेडिकल और प्रबंधन के संस्थान खुलते चले गए। शुरू में ब्रिटेन और बाद में अमेरिका से उधार लिए गए एक बंधे-बधाए सांचे में शिक्षा का विस्तार होता गया। उधारी...

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