डाउन टू अर्थ, 14 जून भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल ही में एक अधिसूचना जारी करते हुए कॉम्प्रोमाइज़ सेटलमेंट (समझौते की प्रक्रिया) के तहत बैंकों को विलफुल डिफॉल्टर्स (जानबूझकर कर्ज न चुकाने वाले) और धोखाधड़ी के मामलों के ऋण निपटान की अनुमति देने का निर्णय लिया है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, बैंक यूनियनें इसके खिलाफ हैं. उनका कहना है कि आरबीआई का ‘कॉम्प्रोमाइज़ सेटलमेंट और तकनीकी राइट-ऑफ का तरीका’ एक ‘हानिकारक...
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आट्टे की कीमतों पर रोक लगाने के लिये सरकार ने गेहूं की स्टॉक लीमिट तय की!
गाँव सवेरा, 14 जून गेहूं और आटे की कीमतें पिछले महीने से लगातार बढ़ रही है, तामाम कोशिशों के बाद भी सरकार गेहूं के स्टॉक पर रोक लगाने में विफल रही है, ऐसे में सरकार ने कीमतों को कंट्रोल करने के लिए कई बड़े कदम उठाते हुए गेहूं की स्टॉक लिमिट तय की है. सरकार ओपन मार्केट सेल स्कीम/OMSS के जरिए गेहूं की बिक्री करेगी जिसके पहले चरण में केंद्रीय पूल...
More »सरकार की एमएसपी घोषणा और जमीनी हकीकत
जनचौक, 14 जून केंद्र सरकार की ओर से पिछले सप्ताह खरीफ की फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि की घोषणा की गई। इसके अंतर्गत पिछले साल की तुलना में खरीफ की फसल पर 5-10% की मूल्य वृद्धि की घोषणा की गई है, जिसे सरकार की ओर से फसल उत्पादकों को उनके उत्पाद पर लाभकारी मूल्य प्रदान करना एवं फसलों में विविधता को बढ़ावा देना बताया गया है। लेकिन...
More »बांधों के निर्माण में तेजी के बावजूद जलाशयों में मौजूद पानी में आई है कमी, जानिए कौन है जिम्मेवार
डाउन टू अर्थ, 14 जून भले ही पिछले 20 वर्षों में नए बांधों के निर्माण के चलते वैश्विक स्तर पर जलाशयों की कुल भंडारण क्षमता में इजाफा हो रहा है, लेकिन इसके बावजूद जलाशयों में मौजूद पानी की मात्रा घट रही है। इसका मतलब है कि जल संसाधनों पर बढ़ते दबाव को दूर करने के लिए केवल ज्यादा से ज्यादा बांधों का निर्माण ही काफी नहीं है। यह जानकारी टेक्सास ए एंड...
More »बेड़ियों और यातनाओं में गुज़रता बचपन जिससे नहीं मूंदी जा सकती हैं आंखें
द प्रिंट, 12 जून बाल मज़दूरी—ये दो शब्द एक साथ कहां मेल खाते हैं? फिर भी यह एक ऐसी सच्चाई है जिससे हम आंख नहीं मूंद सकते. बाल मजदूर एक समाज के रूप में हमारी सामूहिक विफलता तो उद्गाटित करते ही हैं, हमारी संवेदना और नैतिक मूल्यों पर भी तमाम सवाल खड़े करते हैं. हम सिर्फ नंबरों की बात करते हैं, लेकिन हमेशा भूल जाते हैं कि हर बाल मजदूर का...
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