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बिजली 10.66 प्रतिशत महंगी

भोपाल। महंगाई की मार झेल रहे आम जनता की मुश्किलें उस समय और बढ़ गईं जब प्रदेश के सभी वर्ग के उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दर आगामी एक जून से 10.66 प्रतिशत बढ़ा दी गई हैं। मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग के सदस्य के.के.गर्ग ने आज यहां संवाददाताओं को यह जानकारी देते हुए बताया कि तीनों विद्युत वितरण कंपनियों ने विद्युत उत्पादन की दरों में वृद्धि को देखते हुए नियामक आयोग के समक्ष विद्युत...

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नौ दवाओं के सैंपल फेल

रायपुर देशभर में घटिया दवा की सप्लाई करने वाले ड्रग माफियाओं ने छत्तीसगढ़ में जाल फैलाना शुरु कर दिया है। निम्न स्तरीय और घटिया दवाएं यहां भी बेची जा रही है। इन दवाओं में बीमारी दूर करने के महत्वपूर्ण घटक तयशुदा मापदंडों से बेहद कम या बिलकुल गायब हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बीमारों के लिए ज्यादा दिनों तक इन्हीं दवाओं के भरोसे रहना जानलेवा साबित हो सकता है। खाद्य एवं औषद्यि विभाग द्वारा...

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बंगाल में आंधी-तूफान में सैकड़ों घर व पेड़ गिरे

कोलकाता, जागरण ब्यूरो : गर्मी की भीषण मार झेल रहे दक्षिण बंगाल में सोमवार को कालबैसाखी की वर्षा उग्र रूप में मगर राहत भी लेकर आई। आंधी-तूफान के साथ हुई मूसलाधार वर्षा से महानगर समेत विभिन्न जिलों में तापमान जहां एकाएक उतर आया, वहीं जान-माल को भी काफी नुकसान पहुंचा। वीरभूम, पुरुलिया, मुर्शिदाबाद, हावड़ा, हुगली, बर्धमान जिलों में आंधी-तूफान में सैंकड़ों कच्चे घर व पेड़ गिर गए। वहीं मुर्शिदाबाद में वज्रपात से तीन लोगों की...

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भारत में जेंडर गैप- अभी मीलों आगे जाना है..

वैश्विक लैंगिक असमानता को अगर एक पैमाने पर बैठाकर देखें तो उसमें भारत की कहानी कुछ मामलों में चमकदार मगर ज्यादातर मामलों में बदरंग नजर आएगी। पहले चमकदार पहलू को लें। साल १९९३ में संविधान का ७३ वां(पंचायत) संशोधन पारित हुआ और इस संविधान संशोधन से तृणमूल स्तर की दस लाख महिलाएं आनन फानन में राजनीतित मशीनरी का हिस्सा बन गईं। कहानी का एक चमकदार पहलू जुड़ता है नेतृत्व के...

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आदिवासी अधिकारों का व्यापक उल्लंघन हो रहा है- जनसुनवाई का फैसला

“कहा जाता है कि हम लोग दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं क्योंकि देश में बड़े पैमाने पर चुनाव होता है। लेकिन लोकतंत्र का मतलब चुनाव नहीं होता, लोकतंत्र का मतलब होता है देश के फैसलों में जनता की भागीदारी और इस कसौटी पर देखें तो अपने देश में लोकतंत्र नहीं है-‘’सीधे ,सपाट और किसी आंदोलनकारी के मुंह से निकलने का आभास देते शब्द। लेकिन ये शब्द जस्टिस सुप्रीम कोर्ट...

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