कुछ साल पहले की बात है। दिल्ली जाने पर मैं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के एक प्राध्यापक से मिलने गया था। चर्चा के दौरान मैंने कहा कि पांचवें-छठे वेतन आयोग ने प्रथम और द्वितीय श्रेणी के अफसरों-प्रोफेसरों के वेतन बहुत बढ़ाए हैं, जिससे समाज में गैरबराबरी और उपभोक्ता संस्कृति को बढ़ावा मिला है। उन्होंने तुरंत उसका बचाव करते हुए कहा कि वेतन बढ़ाना जरूरी है, नहीं तो विश्वविद्यालय में...
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हेमंत सोरेन ने कहा, खनिजों का दंश भोग रहा है झारखंड
रांची. 14 वें वित्त आयोग के समक्ष झारखंड का पक्ष रखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा : खनिज संपदा से परिपूर्ण होने के बावजूद झारखंड के लोग गरीब हैं. पूरे देश का पोषक माना जानेवाले झारखंड का एक तरह से शोषण हो रहा है. राज्य की खनिज संपदा के बदले मिलनेवाली सालाना तीन हजार करोड़ की रॉयल्टी बिल्कुल नगण्य है. खनिजों के बदले झारखंड बहुत कुछ खो रहा है. हमारा पर्यावरण प्रदूषित...
More »मनरेगा पर ज्यादा सरकारी धन खर्च
मनरेगा देश की सबसे बड़ी योजना है, जिस पर केंद्र सरकार 40-42 हजार करोड़ रुपये सालाना खर्च करती है. इसके मकसद के बारे में सभी जानते हैं. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) एक कानून है, जो शासन को इस बात के लिए बाध्य करता है कि वह किसी भी ग्रामीण परिवार के वैसे सदस्यों को एक साल में सौ दिन का रोजगार मुहैया कराये, जो 18 साल...
More »घरेलू कामगारों की लड़ाई- सुभाषिनी अली
देवयानी खोबरागड़े के नाम से पूरा देश परिचित हो गया है। अमेरिकी सरकार की बदतमीजी की भर्त्सना संसद से लेकर चौराहे तक हुई है। दूसरे देशों के प्रतिनिधियों का हवाई अड्डों पर अपमान करना, दूसरे मुल्कों में घुसकर वहां के ऐसे नागरिकों का अपहरण कर लेना, जिन्हें वे अपने लिए खतरनाक मानते हैं, दूसरे देशों के सामान्य नागरिकों पर ड्रोन हमले कर जान लेना, पूरी दुनिया के नेताओं और नागरिकों...
More »बालू के बवंडर से बदला फैसला
बालू ही नहीं डेढ. दर्जन से अधिक ऐसे लघु खनिज हैं, जिस पर सीधा हक ग्रामसभा व पंचायत का बनता है. अगर कोई सरकार बड़ी कंपनियों के माध्यम से इसकी नीलामी कर इसके निजीकरण की दिशा में कदम बढ़ती है, तो यह कोशिश ही संविधान की मूल भावना पर चोट है. अगर राजस्व संग्रह, कानून व्यवस्था और पर्यावरण अनुमति का सवाल है, तो यह राज्य सरकार का काम है और...
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