पानी गले तक आ जाये, तो औरों का भरोसा छोड़ कर खुद ही सोचना और खोजना पड़ता है कि बचने का क्या रास्ता है. दो साल के सूखे के बाद सामान्य माॅनसून ने पूरब से लेकर उत्तर भारत के तमाम इलाकों में यही हालत कर दी है. शहरों, कस्बों व गांवों में लोग घरों से निकल कर सड़कों पर आ गये हैं. नदियां बावली हो गयी हैं. कई जगह तो...
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1000 करोड़ की फसल बर्बादी से धीमी होगी विकास की चाल-- प्रकाशकांत
पूरे देश की ही तरह मध्य प्रदेश के अर्थतंत्र की रीढ़ भी खेती है। इसी खेती ने 2008 की विश्व मंदी में भी देश की अर्थव्यवस्था को डूबने से बचाया था। हालांकि, यही खेती खुद भी कभी सूखे तो कभी अतिवृष्टि की शिकार होती रही है। नईम की इन पंक्तियों की तर्ज पर कि 'सूखे का हुआ कभी/कभी हुआ बाढ़ का/पहला दिन मेरे आषाढ़ का"। इस बार आषाढ़ तो नहीं मगर...
More »अर्थव्यवस्था और भ्रष्टाचार का घुन-- अरविन्द कुमार सिंह
दुनिया के अनेक देशों की तुलना में भारत भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में पिछड़ रहा है। यह स्थिति तब है जब यहां भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के लिए कानूनों से लैस तमाम एजेंसियां हैं और नागरिक समाज आंदोलित है। वैसे तो भ्रष्टाचार ने पूरी दुनिया को गिरफ्त में ले रखा है, लेकिन अगर भारत की बात करें तो जीवन का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां भ्रष्टाचार का बोलबाला न...
More »सातवें वेतन आयोग का प्रभाव-- डा. भरत झुनझुनवाला
सातवें वेतन आयोग के सुझाव के अनुसार, सरकार ने केंद्रीय कर्मियों के वेतन में वृद्धि की है. इनके हाथ में अतिरिक्त आय आयेगी, जिससे ये बाजार में माल खरीदेंगे. विशेषकर कार, टीवी एवं फ्रिज इत्यादि के निर्माताओं में उत्साह बना है. उन्हें आशा है कि केंद्रीय कर्मियों द्वारा उनके उत्पादों को अधिक मात्रा में खरीदा जायेगा. कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि केंद्रीय कर्मियों द्वारा की गयी खरीद का संपूर्ण अर्थव्यवस्था...
More »GST को अप्रैल 2017 से लागू करना चुनौतीपूर्ण : रघुराम राजन
नयी दिल्ली : रिजर्व बैंक ने आज कहा है कि वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) को एक अप्रैल 2017 से अमल में लाना चुनौतीपूर्ण होगा पर इसके लागू होने से कारोबारियों का विश्वास और अंतत: निवेश को बढावा मिलेगा. रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने जीएसटी लागू होने से महंगाई बढने की आशंकाओं को खारिज करते हुये कहा कि इसके वास्तविक प्रभाव के बारे में तभी आकलन लग सकेगा जब जीएसटी...
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