राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2014-2015 के दौरान आत्महत्या के मामलों में 42 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2014 में 5,650 किसानों द्वारा आत्महत्या की गई थी, जो वर्ष 2015 में बढ़कर 8,007 तक पहुंच गई। तस्वीर इतनी भयानक तब है, जब इस श्रेणी से कृषि मजदूरों द्वारा की गई आत्महत्या की संख्या बाहर रखी गई है। वर्ष 2014 में कुल 6,710...
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4 साल की उम्र के बच्चों से उठवाई जाती थी ईंटे, जुल्म के भट्टे से 200 मासूमों को बचाया
बचपन, जीवन के उन खुशनुमा पलों में से एक होता है जब इंसान बेफिक्रियों के बादलों में घिरा होता है। इन पलों में बाल मजदूरी करना उनके लिए एक सजा है। देश में बाल मजदूरी को रोकने के लिए ढेरों नियम-कानून बनाए गए हैं, इसके बावजूद बाल मजदूरी आंकड़ों के आंकड़ों में कमी नहीं आई है। ये ऐसा गैरकानूनी कृत्य है, जो बच्चों को बड़ों की तरह जीने पर मजूबर...
More »नोटबंदी के बाद मध्यप्रदेश में 28 प्रतिशत हुए बेरोजगार
दौर, टीम नईदुनिया। नोटबंदी के बाद मध्यप्रदेश में 28 फीसदी कर्मचारी/मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। सबसे ज्यादा असर छोटी कंपनियों और कारोबार पर पड़ा है। यह खुलासा नईदुनिया द्वारा 32 जिलों में 110 से ज्यादा कंपनियों में किए गए सर्वेक्षण में हुआ है। कंपनियों से पूछा गया था कि नोटबंदी के बाद पैदा हुई स्थितियों में उन्हें कितने कर्मचारी/ मजदूरों को हटाना पड़ा? सर्वे के अनुसार छोटी कंपनियों में करीब...
More »गेहूं के कर-मुक्त आयात की नीति से मंडराते खतरे-- के सी त्यागी
केंद्र सरकार ने गेहूं के आयात पर लगने वाले ‘आयात शुल्क' को पूरी तरह से खत्म करने का फैसला किया है। यानी गेहूं के आयात पर अब तक लग रहे 10 फीसदी शुल्क को हटा लिया गया है। अब विदेशों से गेहूं आयात करने पर किसी तरह का ‘कर' नहीं लगेगा। कर-रहित आयात को मंजूरी मिल जाने से बाजार में विदेशों से आयातित सस्ते गेहूं की बहुतायत होगी, जिससे देश...
More »विकास की परिभाषा में बच्चे कहां!-- अनुज लुगुन
हमारा समाज एक ऐसी दिशा की ओर बेलगाम अग्रसर होता जा रहा है, जहां सब कुछ या तो बहुसंख्यक के लिए ही हो रहा है, या आवाज उठा सकनेवालों के लिए ही हिस्सेदारी बच रही है. जो मूक हैं, या मासूम हैं, उनके लिए कुछ भी नहीं बच रहा है. आज प्रकृति-जीव और बच्चे सामूहिक संहार के शिकार हो रहे हैं, क्योंकि वे अपनी भाषा मनुष्यों को समझा नहीं सकते....
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