देश में महिलार्किमयों की आय पुरुषों के मुकाबले औसतन 16.1 प्रतिशत कम है, जो कि वैश्विक स्तर पर कमाई में अंतर के बराबर है. वेतन कम होने की वजह यह है ऊंची वेतन वाले पदों पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम है. बाजार विश्लेषण फर्म कॉर्न फेरी की एक ताजा रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है. कॉर्न फेरी सूचकांक के मुताबिक , दुनिया भर में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का औसत...
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श्रम क्षेत्र में सुधारों से तीन साल में एक करोड़ रोजगार पैदा होने का अनुमान: Report
एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर भारत श्रम कानूनों में सुधार सहित विभिन्न नियामकीय सुधारों को आगे बढ़ाता है तो आने वाले तीन साल में बिक्री कारोबार के क्षेत्र में एक करोड़ रोजगार सृजित हो सकते हैं. स्टाफिंग फर्म टीमलीज र्सिवसेज ने एक रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला है. फर्म की कार्यकारी उपाध्यक्ष ऋतुपर्णा चक्रवर्ती ने कहा, केवल दस नियामकीय सुधार करते हुए हम अगले तीन साल में बिक्री करने के काम...
More »बिना जनचेतना प्रदूषण से मुक्ति नहीं-- आशुतोष चतुर्वेदी
हाल में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया के 15 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची जारी की, जिसमें 14 शहर भारत के हैं. चिंता की बात है कि इसमें बिहार के तीन शहर हैं. गया चौथे, पटना पांचवें और मुजफ्फरपुर नौवें स्थान पर है. रिपोर्ट के अनुसार कानपुर दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर है. इस लिस्ट में दिल्ली छठे नंबर पर है और वाराणसी तीसरे नंबर पर. ये आंकड़े...
More »श्रम के भूमंडलीकरण की जरूरत-- कृष्णप्रताप सिंह
विडंबना देखिए कि भूमंडलीकरण के भरपूर व्याप जाने के बावजूद दुनिया के कई देशों में मजदूर दिवस सरकारी छुट्टी का दिन है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के संस्थापक सदस्य भारत में नहीं. ऐसा क्यों है? दरअसल, 19वीं शताब्दी के नौवें दशक तक मजदूर अत्यंत कम व अनिश्चित मजदूरी पर सोलह-सोलह घंटे काम करने को अभिशप्त थे. सन् 1810 के आसपास ब्रिटेन में उनके सोशलिस्ट संगठन ‘न्यू लेनार्क' ने राबर्ट ओवेन...
More »WorldPressFreedomDay : खतरनाक है कलम पर व्यवस्था का अंकुश
आज विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस है. सूचनाओं के इस युग में इस दिन का खास महत्व है. इस दिवस की शुरुआत भले ही 1993 से हुई हो और संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन को प्रेस स्वतंत्रता दिवस के रूप में स्वीकार किया हो, लेकिन प्रेस की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आजादी के महत्व को इससे बहुत पहले से ही महसूस किया जाता रहा है. तभी तो महात्मा गांधी ने कहा...
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