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प्रत्याशियों को चुनाव में अनुदान का विकल्प- भरत झुनझुनवाला

एनडीए की भारी जीत ने हमारी चुनावी व्यवस्था में पार्टियों के वर्चस्व को एक बार फिर स्थापित किया है। विशेष यह कि चुनाव में जनता के मुद्दे पीछे और व्यक्तिगत मुद्दे आगे थे। यह लोकतंत्र के लिए शुभ सन्देश नहीं है। स्वतंत्रता हासिल करने के बाद गांधीजी ने सुझाव दिया था कि कांग्रेस पार्टी को समाप्त कर दिया जाए और जनता द्वारा बिना किसी पार्टी के नाम के सीधे अपने...

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जाति के समीकरण का टूटना- मनीषा प्रियम

गुरुवार को आए चुनावी नतीजे भारतीय लोकतंत्र के लिए काफी अहम हैं। नरेंद्र मोदी, भाजपा और उनका राष्ट्रवाद अब केंद्र में एकछत्र शासन कर सकने की स्थिति में हैं। कांग्रेसवाद और क्षेत्रवाद, दोनों का एक साथ पतन हुआ है। बेशक कभी इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस के लिए कहा जाता था कि वह ‘टीना' फैक्टर यानी ‘देअर इज नो अल्टरनेटिव टु इंदिरा गांधी' के कारण बार-बार जीतकर आती है,...

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असम में नागरिक रजिस्टर को अंतिम रूप देने की समयसीमा 31 जुलाई से आगे नहीं बढ़ेगी: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को स्पष्ट किया कि असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को अंतिम रूप देने की 31 जुलाई की समयसीमा आगे नहीं बढ़ाई जाएगी. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और जस्टिस आरएफ नरिमन की पीठ ने असम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के संयोजक प्रतीक हजेला को इस रजिस्टर में नागरिकों के नाम शामिल करने या गलत तरीके से बाहर करने संबंधी दावों और आपत्तियों के निपटारे के लिए...

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कम नहीं चुनाव आयोग की शक्तियां- नवीन चावला

भारत में जाति पर बहस राजनीतिक परिणामों की एक निर्धारक है। यह वर्ष 2019 के आम चुनाव सहित भारत में तमाम चुनावों की एक रोचक विशिष्टता है। यह ऐसी निर्धारक है कि मतदाताओं के बीच अति लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी चुनाव अभियान में अपनी जातिगत पहचान बतानी पड़ती है। उत्तर और केंद्रीय भारत की ज्यादातर क्षेत्रीय पार्टियों को किसी जाति या बिरादरी विशेष के लिए पहचाना जाता है।...

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मतदान से पहले कितना सोचते हैं हम-- बीजू डॉमिनिक

क्या वोटिंग एक तर्कसंगत प्रक्रिया है? यदि ऐसा है, तब तो आम मतदाता अपने फैसले पर पहुंचने से पहले काफी सोच-विचार करता होगा। मसलन, उम्मीदवार किस पार्टी से हैं? साल 2014 में जो पार्टी सत्ता में आई थी, उसने क्या-क्या वादे किए थे? उनमें से कितने प्रतिशत वादे पूरे हुए? उन्होंने जो वादे किए थे, उन्हें पूरा न कर पाने के लिए क्या उनके पास वाजिब वजहें हैं? किस पार्टी...

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