लगातार दो कमजोर मॉनसून और लापरवाह जल-प्रबंधन के कारण देश में सूखे का संकट उत्तरोत्तर गंभीर होता जा रहा है. देश की करीब आधी आबादी सूखा और जल-संकट की चपेट में है. कई इलाकों में तो दो साल से अधिक समय से यह स्थिति व्याप्त है. अत्यंत गंभीर रूप से प्रभावित क्षेत्रों से बड़ी संख्या में ग्रामीण पलायन को मजबूर हैं. सरकारी तंत्र इस विपदा से निबटने में न सिर्फ...
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स्त्री-पुरुष भिन्न हैं, विपरीत नहीं- सुजाता
और एक दिन हमने पाया कि दुनिया दो टोलों में बंट गयी है. फिल्म पीके की भाषा में कहें, तो एक हमारा गोला और एक तुम्हारा गोला. हम अपने-अपने टोले में कहीं खड़े एक-दूसरे की तरफ हाथ बढ़ाते हैं, लेकिन यहां आकर दो लोगों के बीच की दूरी दुनिया की सबसे लंबी और सबसे देर में तय की जानेवाली दूरी हो जाती है. ये दो टोले थे स्त्री और...
More »कैसे भूल सकते हैं चंपारण सत्याग्रह- के सी त्यागी
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की अतुल्य विरासत को अजर-अमर बनाने की दिशा में जो प्रयास हो रहे हैं, वे न सिर्फ सराहनीय हैं, बल्कि प्रेरणादायक भी हैं। पिछले दिनों बिहार सरकार ने गांधीजी के चंपारण सत्याग्रह की सौवीं वर्षगांठ मनाने का फैसला एक सर्वदलीय बैठक में किया। महात्मा के नाम पर राजनीतिक मतभेद न होना, इस बड़े फैसले का सुखद पहलू रहा। 10 अप्रैल, 1917 को पहली बार महात्मा गांधी बिहार...
More »मजदूर होने का मतलब- डा अनुज लुगुन
अभी कुछ दिन पहले ही कोलकाता में ओवरब्रिज के गिरने से 22 लोगों के मरने की खबर आयी थी. मरनेवालों में ज्यादातर मजदूर थे. इनमें से एक उत्तर प्रदेश निवासी शंकर पासवान भी था, जो मोटिया का काम करता था. वह होली में अपने घर इसलिए नहीं गया, ताकि वह कुछ दिन और काम करके बेटी की शादी के लिए कुछ पैसे जमा कर सके. यह हमारे देश के मजदूरों...
More »बिन पानी सब सून : देश के दस से ज्यादा राज्यों में हालात गंभीर
सूखे का संकट रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून। पानी गये न उबरे, मोती मानुष चून॥ हिमांशु ठक्कर वर्षों पूर्व रहीम की वाणी ने जिस संकट के प्रति आगाह किया था, वह आज फिर यथार्थ के रूप में हमारे सामने है. कुछ माह पहले तक सूखे का जो संकट मराठवाड़ा और बुंदेलखंड जैसे कुछ इलाकों तक सीमित था, वह अब देश के दस से ज्यादा राज्यों में फैल चुका है. सूखे और...
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