एक तरह से देखें तो भारत की सभी सरकारों का रवैया छिपाऊ रहा है। केवल रक्षा मामले में ही नहीं, विवादों, घोटालों, धोखाधड़ी या पक्षपात करने में अपनी निरंकुश ताकत का बेजा इस्तमाल करने से जुड़े सभी मामलों सरकारों का यह रुख साफ दिखता है। बेशक संविधान अभिव्यक्ति की आजादी की गारंटी देता है, लेकिन इस पर मानहानि से जुड़े कानून का बंधन भी है। एक संपादक ने मुझे बताया कि उसके अखबार...
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मातृभाषा के नए प्रश्न - परिचय दास
मातृभाषा अपने मां-पिता से प्राप्त भाषा है। उसमें जड़े हैं, स्मृतियां हैं व बिंब भी। मातृभाषा एक भिन्न कोटि का सांस्कृतिक आचरण देती है जो किसी अन्य भाषा के साथ शायद संभव नहीं। मातृभाषा के साथ कुछ ऐसे तत्व जुड़े होते हैं जिनके कारण उसकी संप्रेषणीयता उस भाषा के बोलने वाले के लिए अधिक मार्मिक होती है। यह प्रश्न इतिहास और संस्कृति के वाहन से भी संबद्ध है, जो संप्रेषण की प्रक्रिया...
More »चमक में छिपा अधेरा- प्रदीप सती
ताजमहल के बारे में कहा जाता है कि इसे बनवाने वाले मुख्य कारीगर के हाथ कटवा दिए गए थे ताकि वह फिर कोई ऐसी सुंदर इमारत न बना सके. ताजमहल से लेकर चीन की दीवार तक हुए बेहतरीन निर्माणों की जब भी बात होती है तो इन्हें बनाने वाले शिल्पियों के साथ हुए अन्याय के बहुत-से किस्से मिलते हैं. यह अन्याय 21वीं सदी तक भी जारी है. राजधानी दिल्ली की तस्वीर...
More »सशक्त राज्य में अशक्त स्त्री- विकास नारायण राय
जनसत्ता 28 जनवरी, 2014 : महिलाओं के विरुद्ध होने वाले यौन अपराधों से निपटने के उपायों और तौर-तरीकों को लेकर सामाजिक-सांस्कृतिक ही नहीं,काफी कानूनी विभ्रम भी हैं। कठोरतम दंड-प्रावधानों के साए में, देश की अपराध-न्याय व्यवस्था आसाराम और तेजपाल के आचरण में भेद नहीं कर पा रही है; पुलिस और अदालती कार्यवाही में दोनों को एक समान ही निपटाया जा रहा है। यौनिक दुराचरण के आरोपी जजों की ओर से...
More »हमारी विकास नीति में उनकी जगह- सुनील
कुछ साल पहले की बात है। दिल्ली जाने पर मैं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के एक प्राध्यापक से मिलने गया था। चर्चा के दौरान मैंने कहा कि पांचवें-छठे वेतन आयोग ने प्रथम और द्वितीय श्रेणी के अफसरों-प्रोफेसरों के वेतन बहुत बढ़ाए हैं, जिससे समाज में गैरबराबरी और उपभोक्ता संस्कृति को बढ़ावा मिला है। उन्होंने तुरंत उसका बचाव करते हुए कहा कि वेतन बढ़ाना जरूरी है, नहीं तो विश्वविद्यालय में...
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