इन दिनों देश भर के नौकरीपेशा और छोटे आयकरदाता वित्त मंत्री अरुण जेटली से वर्ष 2016-17 के बजट में आयकर राहत की अपेक्षा कर रहे हैं। वस्तुत: इस समय व्यक्तिगत आयकर छूट का दायरा एक तो आयकरदाताओं को महंगाई से राहत देने के लिए बढ़ाया जाना चाहिए, और दूसरे, आयकरदाताओं की क्रयशक्ति बढ़ाकर मांग में वृद्धि करने के लिए। अभी देश में आयकरदाताओं की संख्या करीब साढ़े तीन करोड़ है,...
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जरूरी है इन्नोवेशन का रोडमैप-- भरत झुनझुनवाला
नये उद्यमियों की मदद का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संकल्प स्वागतयोग्य है. देश के युवाओं के पास नये उद्योग लगाने के आइडिया हैं, परंतु कार्यान्वित करने के लिए पूंजी नहीं है. सरकार द्वारा इन्हें समर्थन देने से इनकी छिपी हुई ऊर्जा बाहर आ सकती है और देश को आगे बढ़ा सकती है. लेकिन, केवल आर्थिक मदद से काम नहीं बनेगा, सही वातावरण भी बनाना होगा. तमाम ऐसे आइडिया हैं, जिन्हें...
More »शहरी और ग्रामीण गरीबी की आंख खोलती तस्वीर-- उमेश चतुर्वेदी
विकास के दावों के बीच जब राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण की रिपोर्टें आती हैं, तो इन कोशिशों के विद्रूप की ओर न सिर्फ ध्यान दिलाती हैं, बल्कि ऐसे दावों की एक हद तक कलई भी खोल देती हैं। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण की रिपोर्टें चूंकि कोई निजी संस्था या गैर सरकारी संगठन तैयार नहीं करता, लिहाजा इस पर सरकारों के लिए भी सवाल उठाने की गुंजाइश नहीं रह पाती। हाल में ग्रामीण...
More »अहम साल रहा 2015, घातक पर्यावरणीय बदलावों के लिहाज से
बीता वर्ष 2015 अब तक का सबसे गर्म साल रहा है. हालांकि, पिछले करीब एक दशक में कई वर्ष ऐसे रहे हैं, जो उस समय तक सबसे गर्म साल के रूप में आंके गये, लेकिन वर्ष 2015 को इसलिए भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि क्लाइमेट चेंज के लिहाज से विशेषज्ञों ने इसे 'टिपिंग प्वाइंट' करार दिया है. क्या इंगित करता है यह टिपिंग प्वाइंट, क्यों जतायी जा रही...
More »ताकि मौत को गले न लगाएं अन्नदाता - एनके सिंह
सरकार का यह कदम किसानों का भाग्य बदल सकता है और उन्हें आत्महत्या करने से बचा सकता है। हाल ही में केंद्र सरकार ने चिर-अपेक्षित नई फसल बीमा योजना मंजूर की, जो न केवल व्यावहारिक है, किसानों के लिए बेहद उत्साहजनक भी है। केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह के अनुसार इस नई नीति के तहत किसानों को मात्र 1.5 से 2.5 प्रतिशत फसल बीमा राशि का अंश देना होगा।...
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