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सूबे में 114 बाल श्रमिकों को मिली आजादी

रायपुर। छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में श्रम विभाग ने कार्रवाई कर सात बाल श्रमिकों को मुक्त कराया है। जिले में अभी तक 114 बाल श्रमिकों को मुक्त कराया जस चुका है। आधिकारिक सूत्रों ने आज यहां बताया कि छत्तीसगढ़ में बाल मजदूरी के खिलाफ की जा रही कार्रवाईयों के तहत जिला स्तरीय कार्य बल ने सरगुजा जिले में पिछले दिनों सघन निरीक्षण करते हुए सात और बाल श्रमिकों को मुक्त कराया है। अधिकारियों...

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कब चमकेगी आदिवासियों की किस्मत!

नई दिल्ली [भारत डोगरा]। भारतीय संविधान ने आदिवासी समुदायों की विशेष आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशीलता का परिचय दिया और संविधान की इस भावना के अनुकूल हमारे देश में आदिवासी हितों की रक्षा के अनेक कानून भी बनाए गए, लेकिन इसके बावजूद जमीनी स्तर की वास्तविकता यह रही कि आदिवासियों को कई तरह का अन्याय सहना पड़ा। बड़े पैमाने पर वे जमीन से वंचित हुए व उनकी वन-आधारित आजीविका भी अधिकाश स्थानों पर तेजी से कम होती...

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मजदूर संगठनों का आंदोलन 5 को

जयपुर, जासंकें : केंद्र सरकार की कथित आर्थिक और मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ देश के प्रमुख श्रमिक संगठन एकजुट होने लगे हैं। इसमें इंटक भी शामिल है, जो स्वयं कांग्रेस पार्टी की मजदूर विंग है। भामसं, इंटक, सीटू, एटक समेत राज्य के सात संगठनों के प्रतिनिधि केन्द्र सरकार के खिलाफ आज जुट हो गए है। ये संगठन पांच मार्च को होने वाले संयुक्त सत्याग्रह की रणनीति बनाएंगे। प्रदेश के हर जिला मुख्यालय पर भी सत्याग्रह...

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श्रमिक हितों पर मंत्रालय के कड़े तेवर

देहरादून। राज्य में संगठित व असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों को सूचीबद्ध करने के लिए होमवर्क शुरू कर दिया गया है। श्रम मंत्रालय यह भी सुनिश्चित करने की कोशिश में है कि उत्तराखंड में स्थापित उद्योगों में 70 प्रतिशत स्थानीय लोगों को रोजगार मिला है अथवा नहीं। श्रमिकों को स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ दिलाने तथा बंधुआ मजदूरों को वास्तविक संख्या जानने के लिए भी मंत्रालय ने कदम उठाए हैं। राज्य में संगठन व...

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चंबा में नहीं थम रहा बाल श्रम

चंबा : प्रशासन व विभाग के नाक तले पनप रही बाल मजदूरी थमने का नाम नहीं ले रही है। दैनिक जागरण द्वारा प्रकाशित समाचार के पश्चात जिला विभाग हरकत में तो आया लेकिन औपचारिकता से आगे नहीं बढ़ पाया।जहां सरकार शिक्षा, स्वस्थ्य व बाल सुरक्षा हेतु कई योजनाएं एवं कानून बना रही हैं। वहीं हकीकत में ये सभी योजनाएं दायरों तक सीमित हो कर रह गई हैं। जहां बच्चों के हाथों किताबें होनी चाहिए वहीं...

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