नई दिल्ली। देश में लगातार दूसरे साल सूखे के हालात बन रहे हैं। ऐसा भारत के 115 साल के इतिहास में चौथी बार होने जा रहा है। इससे आम आदमी से लेकर सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। 2014 के पूरे मानसून सीजन (जून-सितंबर) के दौरान देशभर में सामान्य के मुकाबले 88 फीसदी औसत बारिश हुई थी। वहीं, इस साल 1 जून से 4 सितंबर तक 645.7 मिलीमीटर औसत बारिश...
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जलाशयों में 16% घटा पानी, किसानों की बढ़ी परेशानी
नई दिल्ली। कमजोर मानसून के कारण देश के प्रमुख 91 जलाशयों में पानी की स्तर औसत से 16 फीसदी नीचे आ गया है। वहीं आने वाले दिनों में जलाशयों में पानी का स्तर और गिर सकता है। ऐसे में कमजोर मानसून की मार झेल रहे किसानों की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। दरअसल खत्म होने के बाद किसान सिंचाई के लिए जलाशयों पर निर्भर रहते हैं। मध्य और उत्तरी भारत...
More »लोयोला में पढ़ेगा लुगनी का बेटा, पांच डिसमिल जमीन, राशन दुकान मिलेगी
जमशेदपुर : गुड़ाबांदा के जियान की दुष्कर्म पीड़िता नि:शक्त लुगनी को जिला प्रशासन पांच डिसमिल जमीन देगा़ इसकी प्रक्रिया 15 दिनों में पूरी कर ली जायेगी़ लुगनी को स्वयं सहायता समूह से जोड़ कर आजीविका के लिए जन वितरण प्रणाली की दुकान प्रदान की जायेगी़ डीडीसी विनोद कुमार व घाटशिला के एसडीओ भुवनेश प्रताप सिंह ने बुधवार को इसकी जानकारी दी़ अधिकारियों ने बताया कि गुड़ाबांदा के मुड़ाठाकुरा स्थित लोयोला...
More »मूडीज ने सूखे की आशंका से जोड़ी भारत की रेटिंग
नई दिल्ली। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारती की रेटिंग को सूखे की आशंका से जोड़ दिया है। उसका कहना है कि भारत इस साल सूखे की चपेट से बच सकता है। लेकिन, भविष्य में सूखा पड़ने या बारिश में कमी की आशंका से देश के सॉवरेन क्रेडिट पर दबाव बन सकता है। मूडीज का मानना है कि भारत में मानसून की चिंता एक हद तक कम हो गई है, लेकिन...
More »किसानों की खुदकुशी के सबब- विनोद कुमार
जरा गौर कीजिए कि इसी देश में करीब अठारह-बीस करोड़ भूमिहीन दलित, अति पिछड़े मजूर हैं। उनके जीवन में यह मौका ही नहीं आता कि वे बैंक से कर्ज लें, खेती करें, उनकी फसल नष्ट हो और वे आत्महत्या कर लें। इसका अर्थ यह नहीं कि हम किसानों की आत्महत्या से पीड़ा का अनुभव नहीं करते। लेकिन इस बात को समझना तो होगा कि एक भूमिहीन किसान या मजूर आत्महत्या न...
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