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देश में दिल्ली पुलिस के खिलाफ सबसे ज्यादा शिकायतें

इंदौर, 6 जुलाई (एजेंसी)। देश में 2011 के दौरान पुलिसकर्मियों के खिलाफ शिकायतें मिलने के मामले में सूबों और केंद्र शासित प्रदेशों की फेहरिस्त में दिल्ली अव्वल रहा, जबकि उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश इस सूची में क्रमश: दूसरे और तीसरे पायदान पर हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की सालाना रिपोर्ट ‘भारत में अपराध 2011’ के मुताबिक, दिल्ली में पुलिस कर्मियों के खिलाफ सर्वाधिक 12,805 शिकायतें मिलीं। उत्तर प्रदेश में पिछले साल...

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‘गन्ने का रस बेचने वालों के लिए लाइसेंस जरूरी हो’

जनसत्ता संवाददाता नई दिल्ली, 29 जून। बिना लाइसेंस के गन्ने का रस बेचने वाले रेहड़ी पटरी वालों के चालान काटने वाले स्वास्थ्य निरीक्षक कहते हैं कि उन्हें आयुक्त ने सौ चालान काटने का फरमान जारी किया है। वे फाईल चार्ज के नाम पर ढाई हजार रुपए अलग से लेते हैं। इस गोरखधंधे के पीछे कौन लोग हैं जो दुकानदारों की एक नहीं सुनते? यह बात पूर्वी दिल्ली नगर निगम की स्थाई...

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दिल्लीः अब पानी के निजीकरण की तैयारी

अगर बिजली के निजीकरण का कांग्रेस पार्टी में विरोध नहीं हुआ होता तो पानी का निजीकरण मुख्यमंत्री शीला दीक्षित अपने दूसरे कार्यकाल के शुरू में ही कर देतीं। उन्होंने चौबीसो घंटे पानी उपलब्ध करवाने के नाम पर कार्ययोजना भी शुरू करवा दी थी। दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) के तर्ज पर दिल्ली जल बोर्ड के लिए नियामक आयोग के गठन की भी घोषणा कर दी थी। उन्होंने सितंबर 2005 में...

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जमीन पक रही है- भारत डोगरा

जनसत्ता 23 जून, 2012: अगर हमारे देश में ग्रामीण निर्धन वर्ग और विशेषकर भूमिहीन वर्ग को टिकाऊ तौर पर संतोषजनक आजीविका मिले इसके लिए भूमि-सुधार बहुत जरूरी है। इसके अलावा, अन्यायपूर्ण भूमि अधिग्रहण द्वारा जिस तरह तेजी से बहुत-से किसानों खासकर आदिवासियों की जमीन लेकर उन्हें भूमिहीन बनाया जा रहा है, उस पर रोक भी लगानी होगी। ऐसे महत्त्वपूर्ण सवालों के न्यायसंगत समाधान के लिए इस वर्ष के आरंभ से एक प्रयास...

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सिंगरौली में संघर्ष जारी है- पुण्य प्रसून वाजपेयी

जनसत्ता 25 मई, 2012: यह रास्ता जंगल की तरफ जाता जरूर है, लेकिन जंगल का मतलब वहां सिर्फ जानवरों का निवास नहीं होता। जानवर तो आपके आधुनिक शहर में हैं, जहां ताकत का अहसास होता है। जो ताकतवर है उसके सामने समूची व्यवस्था नतमस्तक है। लेकिन जंगल में तो ऐसा नहीं है। यहां जीने का अहसास है। सामूहिक संघर्ष है। एक दूसरे के मुश्किल हालात को समझने का संयम है। फिर न्याय से लेकर...

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