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डॉक्टर ने बदली तीन सौ गांवों की तस्वीर

भारतीय रेलवे के कर्मचारी देवराव कोल्हे के पुत्र रवींद्र नागपुर मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहे थे। हर किसी को उनके डॉक्टर बनकर अपने गांव शेगाव लौटने का इंतजार था, लेकिन किसे मालूम था कि शहर में अच्छी प्रैक्टिस शुरू करने की बजाय रवींद्र एकदम उल्टी दिशा ही पकड़ लेंगे। वे महात्मा गांधी और विनोबा भावे की किताबों से बहुत प्रभावित थे। पढ़ाई पूरे होते-होते वे निश्चय कर चुके थे कि...

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आत्‍महत्‍या करने वालों की जाति और धर्म के आधार पर गणना, सामने आये ये आंकड़े

गृह मंत्रालय के अनुसार, एक हिन्‍दू के मुकाबले किसी ईसाई के आत्‍महत्‍या करने की संभावना डेढ़ गुना ज्‍यादा है। जबकि देश की विभिन्‍न जातियों में से आदिवासी और दलित सबसे ज्‍यादा आत्‍महत्‍या करते हैं। एक आरटीआई के जवाब में यह खुलासा हुआ है कि गृह मंत्रालय ने आत्‍महत्‍याओं की जाति और धर्म के आधार पर अलग गणना कराई थी। 2014 में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्‍यूरो (NCRB) ने पहली बार आत्‍महत्‍याओं का...

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पानी के लिए पसीना बहा रहे आदिवासी...

खंडवा। भीषण जलसंकट से जूझ रहे लोगों को अपने हिस्से का पानी सहेजने की प्रेरणा नईदुनिया अभियान से मिल रही है। इसी कड़ी में खालवा क्षेत्र के दूरस्थ ग्राम बूटी में आदिवासी तालाब गहरीकरण के लिए श्रमदान में जुटे हैं। स्पंदन समाजसेवा समिति के सीमा प्रकाश ने बताया कि ग्राम बूटी पंचायत धामा का दूरस्थ ग्राम है। यहां 162 घर हैं। आबादी 553 है। इसमें 113 घर कोरकू जनजाति के...

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आदिवासियत का लड़ाकू विचारक-- अनुज लुगुन

मराठी के वरिष्ठ आदिवासी कवि वाहरू सोनवाने ‘स्टेज' कविता में कहते हैं- ‘हम स्टेज पर गये ही नहीं/हमें बुलाया भी नहीं गया/उंगली के इशारे से हमारी जगह हमें दिखाई गयी/वे स्टेज पर खड़े होकर/हमारा दुख हमें ही बताते रहे.' यह कविता आदिवासी समाज को गैर-आदिवासियों द्वारा निर्देशित करने की यंत्रणादायी प्रक्रिया को बताती है.  आदिवासियों को निर्देशित करने की औपनिवेशिक मंशा का प्रतिरोध करते हुए कई बार वाहरू जी कह...

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'मंत्रीजी! बिन पानी हमारे लड़के रह गए कुंआरे, अब तो कुछ करो'

रायसेन(मध्यप्रदेश)। मंत्री जी, चुनाव के समय तो आपने हाथ पर कलश-नारियल रखकर कसम खाई थी कि गांव में पानी-बिजली की समस्या जल्द खत्म कर देंगे। लेकिन अब क्या हुआ। चुनाव जीतने के बाद तो आप हमें भूल ही गए। यहां जवान लड़कों की शादियां नहीं हो रही हैं। जिनकी हो भी गई हैं, उनकी पत्नियां मायके से वापस ससुराल नहीं आना चाहती, क्योंकि गांव में दो से तीन किमी दूर से...

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