अर्थव्यवस्था, राजनीति और प्रकृति के नजरिये से पिछला साल काफी उथल-पुथल वाला वर्ष रहा। ब्रिटेन यूरोपीय संघ से बाहर निकला, डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के नए राष्ट्रपति चुने गए और अनियमित मौसम व असमय बारिश से पूरी दुनिया हलकान रही; गरीबों के घर और खेत तबाह हुए। ये तमाम चीजें अब बीते दिनों की बातें भले लगती हों, लेकिन जिस तरह से हमारे लक्ष्य बदल रहे हैं, भविष्य इससे भी बुरा...
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नीति आयोग का दृष्टिपत्र-- प्रसेनजित बोस
आधिकारिक आकलनों के अनुसार, 2014-15, 2015-16 और 2016-17 में सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) में भारतीय अर्थव्यवस्था की वार्षिक वृद्धि दर क्रमशः 7.2, 7.9 और 7.1 फीसदी रही है. हाल के दिनों में चीनी अर्थव्यवस्था में मंदी के मद्देनजर भारत की मौजूदा सरकार के अंतर्गत देश को 'दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती हुई बड़ी अर्थव्यवस्था' माना गया है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की एक बैठक में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने...
More »जल्द मिले सस्ती औषधि की सौगात - डॉ एके अरुण
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संकेत दिया कि ऐसा कानूनी ढांचा तैयार किया जाएगा जिसके तहत चिकित्सकों को उपचार के लिए महंगी ब्रांडेड दवाओं की जगह जेनेरिक दवाएं (जो मूल दवा है और सस्ती होती है) ही लिखनी होंगी। उल्लेखनीय है कि बेहद महंगी दरों पर मिलने वाली ब्रांडेड दवाएं मरीजों और उनके तीमारदारों की जेब पर इतनी भारी पड़ती हैं कि अधिकांश तो पर्याप्त मात्रा में दवाएं...
More »RBI ने कहा- बैंक चाहें तो कर्ज सस्ता करने की पूरी गुंजाइश
नई दिल्ली। देश में महंगाई में मामूली वृद्धि होने की पूरी गुंजाइश है लेकिन इसके बावजूद कर्ज की दरों में कमी हो सकती है। मौद्रिक नीति तय करने के लिए गठित समिति (एमपीसी) की पिछली बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने स्वयं ही यह बात कही। पटेल ने इस बात पर भी चिंता जताई है कि बैंक ब्याज दरों में कटौती का पूरा फायदा अभी तक ग्राहकों...
More »पाबंदियों के दौर में- तवलीन सिंह
पिछले हफ्ते जिस दिन अफगानिस्तान में आइएसआइएस की पहाड़ी गुफाओं पर हमला किया अमेरिका ने, मैं दिल्ली के एक जापानी रेस्तरां में दोपहर का खाना खाने गई थी। दो किस्म की सूशी मंगवाई और एक गिलास नाशिक में बनी सफेद वाइन का। वाइन आई, ठंडा घूंट लिया और सोचने लगी डोनल्ड ट्रंप के नए हमले के बारे में। सोच में डूब रही थी कि देखा वेटर मेरे आसपास मंडरा रहा...
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