हम तेजी से बदल रहे हैं। फैशन, स्टाइल के साथ हमारी लाइफस्टाइल और खानपान का ढंग भी बदल गया। इन चेंजेंज को भले ही प्रोग्रेस का सिंबल माना जा रहा हो पर सच यह भी है कि इनकी हमें भारी कीमत चुकानी पड़ी है। रोजाना, पैदा हो रही हैं अनजानी, अनसुनी बीमारियां। इससे बढ़कर अब तो सिचुएशन यहां तक खराब हो गई है कि इंसान की बच्चे पैदा करने की...
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चिराग तले अंधेरा....
अधिकारों की हिफाजत में कानून बनाना एक बात है और सच्चाई की जमीन पर उतार पाना एकदम दूसरी बात।देश की राजधानी दिल्ली को ही देखें। एक तरफ तो शिक्षा के बुनियादी अधिकार को साकार करने के लिए कानून अमल में आ गया है दूसरी तऱफ देश की राजधानी दिल्ली में में कामगार तबके की आबादी वाले कॉलोनियों में बच्चे नियमित पढ़ाई लिखाई से वंचित हो रहे हैं। दिल्ली में रोजमर्रा की...
More »कई जगह रसोइए पढ़ा रहे हैं
उदयपुर : खैरवाड़ा तहसील में कुछ ऐसे स्कूल भी हैं जहां पोषाहार बनाने वाला रसोइयां बच्चों को पढ़ा रहा है। संस्थाप्रधानों का कहना है कि स्टाफ नहीं होने से ये हालात पैदा हो रहे हैं। बीकानेर : मोमासर स्कूल सुबह सात बजे लगी और नौ बजे छुट्टी हो गई। पूछने पर पता चला कि स्कूल में मास्टरजी ही नहीं है तो पढ़ाएगा कौन। यह रोज की बात है। यहां केवल तीन...
More »भुखमरी-एक आकलन
खास बात - साल 1990 में भारत का जीएचआई अंक 32.6 था, साल 1995 में यह अंक 27.1, साल 2000 में 24.8, साल 2005 में 24.0 तथा साल 2013 में 21.3 था। साल 2013 में भारत का जीएचआई अंक(21.3) चीन (5.5), श्रीलंका (15.6), नेपाल (17.3), पाकिस्तान (19.3) और बांग्लादेश (19.4) से बदतर है।@ -साल १९८३ में देश के ग्रामीण अंचलों में प्रति व्यक्ति प्रति दिन औसत कैलोरी उपभोग २३०९ किलो कैलोरी का था जो साल १९९८ में घटकर २०१०...
More »कुपोषण
खास बात 2018 में देश में पांच साल से कम उम्र के 8.82 लाख बच्चों की मौत हुई. नाइजीरिया में यह आंकड़ा 8.66 लाख और पाकिस्तान में 4.09 लाख था। • 2018 में, देश के 28 दिनों से कम आयु के 5.49 लाख बच्चों की मृत्यु हुई। • कुपोषण का उपयोग अब बच्चों को स्टंटिंग (उम्र के हिसाब से छोटा कद) और वेस्टिंग (लंबाई के हिसाब से कम वजन), आवश्यक विटामिन और खनिजों की कमियों के...
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