SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 347

कानकून सम्मेलन से सार्थक परिणाम आए

संयुक्त राष्ट्र। जलवायु परिवर्तन पर कोपेनहेगन समझौते को मजबूती प्रदान करने की आवश्यकता पर बल देते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान-की मून ने इस वर्ष के अंत में होने वाले कानकून सम्मेलन में यथार्थवादी परिणाम हासिल करने का आह्वान किया है। टोरंटो में जी-20 सम्मेलन में विश्व के नेताओं को संबोधित करते हुए मून ने कहा कि समग्र वैश्विक समझौते पर पहुंचाना शीघ्र और आसान नहीं होगा। हालंाकि महासचिव कार्यालय के...

More »

सरकारी बैंकों को और मिलेंगे 4500 करोड़

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सरकारी क्षेत्र के बैंकों को मजबूत बनाने के लिए विश्व बैंक से आर्थिक मदद आगे भी मिलती रहेगी। पिछले वित्त वर्ष के दौरान विश्व बैंक ने भारत सरकार को इस काम के लिए दो अरब डालर [लगभग 9000 करोड़ रुपये] दिए थे। जबकि चालू वित्त वर्ष के दौरान एक अरब डालर [लगभग 4500 करोड़ रुपये] देने पर विचार किया जा रहा है। दरअसल, वर्ष 2008 की...

More »

भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाते हैं 19 खरब रुपये

नई दिल्ली। विश्व बैंक का कहना है कि विकासशील देशों में हर साल 40 अरब डालर [19 खरब रुपये] की रकम भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है। विश्व बैंक एक अधिकारी एवं चुराई गई संपत्ति की वसूली के लिए पहल [स्टार] के समन्वयक एड्रियन फोजार्ड ने बताया, 'विकासशील देशों में प्रत्येक साल 20-40 अरब डालर की रकम चुराई जाती है। पिछले 15 सालों में इनमें से मात्र 5 अरब...

More »

जैव विविधता संरक्षण को अंतरराष्ट्रीय संधि संभव

नई दिल्ली। पर्यावरण और वन राज्य मंत्री जयराम रमेश ने शनिवार को कहा कि जैव विविधता से भरपूर संसाधनों तक पहुंच और उसके दोहन के लाभ में स्थानीय समुदाय की हिस्सेदारी सुनिश्चित कराने के उद्देश्य से दुनिया के 193 देशों के बीच आगामी अक्टूबर तक अंतरराष्ट्रीय संधि के आकार लेने की संभावना है। रमेश ने यहां अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के मौके पर हुए समारोह में कहा कि जापान के नागोया में अक्टूबर मध्य...

More »

अपने देश में कोई मध्यवर्ग ही नहीं!

नई दिल्ली। अपने देश के जिस मध्यवर्ग को केंद्र में रखकर देसी-विदेशी कंपनियां अपने माल की बिक्री की रणनीति बनाती आई हैं, उसका अस्तित्व ही नहीं है। जिस मध्यवर्ग को राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से सबसे ज्यादा संवेदनशील माना जाता है और जो बड़े-बड़े बदलावों का माध्यम बनता रहा है, उसे अपने देश में ढूंढ़ना बेकार है। भारत जैसे विकासशील देशों में मध्यवर्ग के लिए गढ़ी गई नई अंतरराष्ट्रीय परिभाषा के आधार पर यह...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close