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इस बार के चुनाव में खेती-किसानी मुद्दा क्यों नहीं है- हरवीर सिंह

इंदिरा गांधी के इमरजेंसी राज के बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को जिस जनता पार्टी ने सत्ता से बेदखल किया, उसका चुनाव चिह्न हलधर था। उस चुनाव का एक नारा था, देश की खुशहाली का रास्ता खेतों और गांवों से होकर जाता है। साफ है कि तब राजनीति के केंद्र में किसान और गांव-देहात था। अब सोलहवीं लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। इस चुनाव में मध्यवर्ग,...

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विकास की होड़ में बेसुध- अभय मिश्र

जनसत्ता 6 फरवरी, 2014 : भारतीय जनता पार्टी के गंगा समग्र अभियान की सर्वेसर्वा उमा भारती ने पर्यावरणविद अनुपम मिश्र से आंदोलन के भविष्य की रूपरेखा पर सलाह मांगी, जिसे वे जनता के सामने संकल्प के तौर पर रख सकें। अनुपमजी ने कहा कि आप अच्छा काम कर रही हैं लेकिन कोई भी बड़ी घोषणा करने से बचिए। थोड़ा रुक कर वे बोले, आज आप कोई बड़ा संकल्प ले लेंगी...

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हमारी विकास नीति में उनकी जगह- सुनील

कुछ साल पहले की बात है। दिल्ली जाने पर मैं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के एक प्राध्यापक से मिलने गया था। चर्चा के दौरान मैंने कहा कि पांचवें-छठे वेतन आयोग ने प्रथम और द्वितीय श्रेणी के अफसरों-प्रोफेसरों के वेतन बहुत बढ़ाए हैं, जिससे समाज में गैरबराबरी और उपभोक्ता संस्कृति को बढ़ावा मिला है। उन्होंने तुरंत उसका बचाव करते हुए कहा कि वेतन बढ़ाना जरूरी है, नहीं तो विश्वविद्यालय में...

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संस्कृति और विकास का अंतर्विरोध - डा. भरत झुनझुनवाला

हाइड्रोपावर का नरेंद्र मोदी के बताये उद्देश्यों से घोर अंतर्विरोध है. भाजपा और कांग्रेस दोनों ही हाइड्रोपावर के पक्षधर हैं, परंतु हाइड्रोपावर के दुष्परिणामों के कारण जनता द्वारा विरोध होने से दोनों ही पार्टियां अपने दुष्चिंतन को लागू नहीं कर पायी हैं. नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड दौरे के दौरान कांग्रेस पर आरोप लगाया कि पहाड़ के युवा बेरोजगार हैं चूंकि विकास नहीं हो रहा है. उन्होंने उत्तराखंड को स्पिरिचुअल एनवायरन्मेंट जोन...

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यौन उत्पीड़न की जमीन- विकास नारायण राय

जनसत्ता 17 दिसंबर, 2013 :  यौनिक हिंसा के चर्चित प्रकरणों पर इन दिनों चल रही राजनीति के बीच हमें स्त्री उत्पीड़न की बुनियादों को नहीं भूलना चाहिए। लगता है जैसे सत्ता-केंद्रों की आपसी खींचतान कहीं असली मुद्दों को हड़प न ले! अन्यथा शीर्ष न्यायालय के जज, अति महत्त्वाकांक्षी राजनीतिक, चर्चित मीडिया संपादकऔर भक्तों-संपत्तियों के धर्मगुरु को लपेटे में लेने वाले ये शर्मनाक प्रकरण, स्त्री विरुद्ध हिंसा के व्यापक लैंगिक संदर्भों...

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