-डाउन टू अर्थ, हरियाणा के पंचकुला जिले में मुर्गी पालने वाले दो फार्मों में आईसीएआर-एनआईएचएसएडी से एवियन फ्लू (बर्ड फ्लू) के पॉजीटिव नमूने मिलने, गुजरात के जूनागढ़ जिले में प्रवासी पक्षियों और राजस्थान के सवाई माधोपुर, पाली, जैसलमेर और मोहर जिलों में कौओं में पॉजीटिव नमूने मिलने की पुष्टि होने के बाद केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय ने प्रभावित राज्यों को सुझाव दिया है कि वे एवियन फ्लू बीमारी को रोकने...
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बादशाह के बरक्स किसानों की ताकत का सच गरिमा के साथ स्वीकारने का विवेक क्या शेष है?
-जनपथ, उसे हर उस चीज का बादशाह माना जाता था जिस पर उसकी नज़र जाती थी. सो उस सर्वशक्तिमान बादशाह केन्यूट [994-1035] ने उमड़ती आ रही लहरों को हुक्म दिया कि वे पीछे लौट जाएं और उसके राजसी चरणों और लिबास को गीला न करें. लेकिन बादशाह की दैविक शक्ति के बावजूद समुद्र की लहरों ने उसका हुक्म नहीं माना. मारे शर्मिंदगी के बादशाह के दरबारियों के सर झुके के झुके...
More »आशा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, डॉक्टर, नर्स या फिर पुलिसकर्मी, कोविड वैक्सीन सबसे पहले किसे लगना चाहिए?
-गांव कनेक्शन, कोविड-19 के संक्रमण से दुनियाभर में अब तक 17 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इस महामारी से विश्व भर में 78.7 मिलियन लोग संक्रमित हो चुके हैं। राहत भरी खबर अभी यह है कि सरकार ऐसा दावा कर रही है कि जनवरी 2021 में कोविड वैक्सीन लगनी शुरू हो जायेगी। ऐसे में सवाल यह उठता है कि सरकार को वैक्सीन लगाने के लिए सबसे पहले...
More »उत्तर प्रदेश और बिहार के पांच वर्ष से कम उम्र के मासूम बच्चों पर वायु प्रदूषण का खतरा सबसे अधिक
-डाउन टू अर्थ, उत्तर प्रदेश और बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान जैसे बड़े और प्रति व्यक्ति कम आय वाले राज्य खतरनाक स्तर के पार्टिकुलेट मैटर वाले वायु प्रदूषण की चपेट में हैं। यह राज्य वायु प्रदूषण के कारण होने वाली समयपूर्व मौतों और रुग्णता के कारण जबरदस्त आर्थिक नुकसान भी उठा रहे हैं। यह बात इस तरफ भी इशारा कर रही है कि इन राज्यों में वायु प्रदूषण की बलि सबसे ज्यादा गर्भ...
More »आवरण कथाः कहीं डूब न जाए पूरा वित्तीय तंत्र
-इंडिया टूडे, लगातार देश का बैंकिंग क्षेत्र अमूमन बुरी खबरों से ही सुर्खियों में उछला रहता है. वजहें: डूबत कर्ज (जिसे बैंकों की शब्दावली में गैर-निष्पादित संपत्तियां या एनपीए कहा जाता है) के बढ़ते अंबार से लेकर निपट धोखाधड़ी, क्रोनी कैपिटलिज्म और न जाने क्या-क्या. यह बीमारी तेजी से फैलती जा रही है, जिसमें छोटे-बड़े और कुछ नामधारी बैंक भी हैं. तो, यह सड़न सिर्फ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों तक सीमित...
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