रांची. राज्य सरकार हाई स्कूलों को हर समय बेहतर बनाने और विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की बात करती है। लेकिन राज्य सरकार और शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण राज्य की योजनाओं को केंद्र सरकार अस्वीकृत कर दे रहा है। इसका ताजा उदाहरण इस वित्तीय वर्ष में देखने को मिला है। केंद्र ने प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड (पैब) की बैठक में वित्तीय वर्ष 2014-15 के तहत झारखंड द्वारा दिए...
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किन्नरों के लिए वेलफेयर बोर्ड
कोलकाता: किन्नरों के आर्थिक व सामाजिक विकास के लिए राज्य सरकार ने पृथक वेलफेयर बोर्ड का गठन करने का फैसला किया है. यह जानकारी मंगलवार को राज्य की महिला व समाज कल्याण मंत्री डॉ शशि पांजा ने दी. उन्होंने कहा कि उनके विभाग के अंतर्गत ही इस बोर्ड का गठन किया जायेगा. राज्य सरकार किन्नरों को समाज में उनका अधिकार दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है, इसलिए सरकार ने यह फैसला किया...
More »गांव-देहात व किसान से वास्ता नहीं- केसी त्यागी
आम बजट और रेल बजट को देख कर यह सहज रूप से कहा जा सकता है कि केंद्र सरकार बजट के पीछे राजनीति कर रही है. राजनीति इस अर्थ में कि जो भाजपा कहती है, वह करती नहीं है. जो वादा करती है, उसके पीछे उसकी मंशा क्या है, तथा आम आदमी के प्रति वह कितनी हमदर्द है, वह आम बजट और रेल बजट से साबित हो गया है. सरकार...
More »सीएजी ने पकड़ी 10 हजार करोड़ रुपए की गड़बड़ी
पटना. वित्तीय कुप्रबंधन के कारण राज्य सरकार को दस हजार करोड़ रुपए की चपत लगी है। मंगलवार को पेश अपनी रिपोर्ट में कैग (नियंत्रक-महालेखापरीक्षक) ने कई विभागों की गड़बड़ियां उजागर की है। कैग ने सर्वशिक्षा अभियान, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में भारी गड़बड़ी पकड़ी है। कई विभागों में वित्तीय कुप्रबंधन समाने आया है तो कई विभागों में नियम-कानून में हेरफेर कर सरकार को चूना लगाया...
More »बिहार: 'सड़ी हुई प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था'- अमरनाथ तिवारी(बीबीसी)
शिक्षा और शिक्षकों को लेकर बिहार आजकल चर्चा में है जहां फ़र्ज़ी प्रमाणपत्रों का सहारा लेकर शिक्षक बनने के कई मामले सामने आ रहे हैं. राज्य में जब प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की बड़े पैमाने पर भर्ती शुरू हुई तब कई लोगों को लगा कि इससे राज्य में शिक्षा का स्तर बेहतर होगा. लेकिन क्या वाक़ई ऐसा हुआ? पढ़ें पटना से अमरनाथ तिवारी की पूरी रिपोर्ट बिहार में साल 2003 में अनुबंधित शिक्षकों...
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