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किसान आत्महत्या: कैसे तैयार होते हैं आंकड़े?- पी साईनाथ

किसानों की आत्महत्या से जुड़े सालाना आंकड़े राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) जारी करता है. लेकिन ये आंकड़ों जिस तरह से जुटाए जाते हैं, वह समस्या को कहीं ज़्यादा गंभीर बना रहे हैं. दरअसल, एनसीआरबी आकंड़ा संग्रह करने की मशीनरी नहीं हैं, बल्कि यह राज्य सरकारों से मिले आंकड़ों को एकत्रित करके उसे टेबुलर फॉर्म में जारी करती है. इस लिहाज से देखें तो एनसीआरबी का इन आंकड़ों में अपना कोई...

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भूमि अधिग्रहण से डरते हैं किसान-- तवलीन सिंह

जब भी कृषि से जुड़ी किसी समस्या पर लिखना होता है, तब मैं अपने भाई के साथ सलाह-मशविरा करती हूं। मेरे भाई की गिनती बड़े किसानों में होती है, लेकिन खेती से उसको तभी थोड़ा-बहुत पैसा वसूल हुआ, जब करनाल शहर के दिन-ब-दिन फैलते दायरे से उसकी जमीन के कुछ हिस्से शहरी घोषित हुए और अचानक कीमत बढ़ गई। वर्ना गुरबत के बीच गुजरी है मेरे भाई की जिंदगी। एक...

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कराहते करघे अब करुण कहानी भर हैं-- अमितांशु पाठक

अभी कुछ ही दिन हुए, जब वाराणसी में फाकेहाली से हताश एक बुनकर दंपति ने अपनी तीन बच्चियों की हत्या कर दी। पर विदर्भ के किसानों की आत्महत्या की तरह बनारस के बुनकरों की आर्थिक तंगी, बेकारी, गरीबी और कुपोषण को मीडिया में सुर्खियां नहीं मिल सकीं। इसलिए दुनिया भर में फैले बनारसी साड़ियों के शौकीन नहीं जानते कि यहां अनेक बुनकर परिवारों को दो जून का भरपेट भोजन और...

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व्यापम की राह पर छत्तीसगढ़ का धान घोटाला, खुलासा करने वाले की मौत

छत्तीसगढ़ का चर्चित पैडी घोटाला मध्यप्रदेश के कुख्यात व्यापमं घोटाले की तर्ज पर चल पड़ा है। करोडों के इस घोटाले का खुलासा करने वाले प्रमुख व्हिस्लिब्लोअर सुरेन्द्र शाक्या जबलपुर स्थित अपने घर पर संदिग्‍ध रूप से मृत हालत में पड़े मिले। पुलिस ने प्राथमिक जांच में इसे आत्महत्या करार दिया है। हालांकि उनके परिजनों ने आत्महत्या की बात को नकारते हुए पुलिस पर चालबाजी का आरोप लगाया है। सुरेन्द्र के बड़े...

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छत्तीसगढ़--14 सालों में साढ़े 14 हजार से अधिक किसानों ने की आत्महत्या

रायपुर। छत्तीसगढ़ में पिछले 14 सालों में 14793 किसानों ने आत्महत्या की है। ये रोंगटे खड़े कर देने वाले आंकड़े राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के रिकॉर्ड में दर्ज हैं। किसानों की खुदकुशी का यह ग्राफ और भी भयानक हो सकता था, लेकिन एनसीआरबी ने 2011 से 2013 की अवधि में ऐसी मौतों की गणना नहीं की। खेती की बढ़ती लागत, खेती में हो रहे लगातार नुकसान के चलते किसान...

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