लगातार दो कमजोर मॉनसून और लापरवाह जल-प्रबंधन के कारण देश में सूखे का संकट उत्तरोत्तर गंभीर होता जा रहा है. देश की करीब आधी आबादी सूखा और जल-संकट की चपेट में है. कई इलाकों में तो दो साल से अधिक समय से यह स्थिति व्याप्त है. अत्यंत गंभीर रूप से प्रभावित क्षेत्रों से बड़ी संख्या में ग्रामीण पलायन को मजबूर हैं. सरकारी तंत्र इस विपदा से निबटने में न सिर्फ...
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सफल नहीं होती शराबबंदी-- आकार पटेल
मशहूर समाजशास्त्री एमएन श्रीनिवास ने कहा था कि गौहत्या पर प्रतिबंध की तरह ही शराबबंदी भी एक सांस्कृतिक कार्य है. श्रीनिवास के मुताबिक, इन प्रतिबंधों के लिए जो भी औचित्य गिनाये जायें, लेकिन हकीकत में इसके पीछे ब्राह्मणवादी और सवर्णवादी सोच है. हमें आश्चर्यचकित नहीं होना चाहिए कि हमारे संविधान निर्माताओं ने एक ही दिन 24 नवंबर, 1948 को इन दोनों मुद्दों पर बहस की थी. मैं यहां यह तथ्य...
More »आंगनबाड़ी केन्द्र के लिए आदिवासी ने कर दी 8 लाख की जमीन दान
शहडोल। अब जहां लोग एक-एक इंच भूमि के लिए अपने भाई व सगे लोगों को बिना किसी मतलब के देने को तैयार नहीं होते वहीं मौहार दफाई के एक आदिवासी ने आंगनबाड़ी केन्द्र भवन बनाने के लिए आठ लाख रुपए कीमत की जमीन दान में देकर अनुकरिणीय पहल की है। उमरिया जिले के नौराजाबाद से लगी मौहार दफाई के सम्हारु कोल पिता नत्थूलाल कोल (93) ने 1600 स्क्वायर फिट जमीन बिना...
More »सोनी सोरी ने पुरस्कार की राशि आदिवासी परिवारों को करेंगी दान
रायपुर। आम आदमी पार्टी की सोनी सोरी ने हिंदी अकादमी दिल्ली से मिले संतोष कोली सम्मान की राशि 2 लाख रुपए लेकर रायपुर लौंटी। उन्होंने घोषणा की है कि वे ये राशि बस्तर के पीड़ित आदिवासी परिवारों को समर्पित करेंगी। सोनी सोरी ने कहा की बस्तर में हालात खराब हैं, इसका खामियाजा निर्दोष आदिवासियों को उठाना पड़ रहा है। जो भी निर्दोष आदिवासी मारे जा रहे हैं उनके परिवारों को आर्थिक...
More »आदिवासी अस्मिता का सवाल-- डा. अनुज लुगुन
आज दुनिया की कई भाषाएं मरने के कगार पर इसलिए खड़ी हैं, क्योंकि वैश्विक दुनिया के मानकों के अनुसार वे लाभकारी नहीं हैं. वैश्वीकरण के मुनाफे की इस प्रवृत्ति ने भाषाओं के बीच जो दूरी पैदा की है, वह पहले कभी नहीं थी. पहले भी भाषाएं मरती रही हैं, लेकिन उसके कारण के रूप में मुनाफे वाली मानसिकता नहीं रही है. भाषाओं का यह संकट सामान्य रूप से भी...
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