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लोहे की पहाड़ियों के पीछे बसता है दूसरा अबूझमाड़ !

पिनाकीदास रंजन, दंतेवाड़ा। लोहे के अकूत भण्डार को गर्भ में समेटे बैलाडीला की पहाड़ियों के पीछे की हकीकत अंधे कुएं के समान है। अच्छी गुणवत्ता के लोहे के लिए प्रसिद्घ इन खदानों के पीछे बसे गांवों के हालात को अगर विकास के तराजू पर तौला जाए तो दूसरा अबुझमाड़ कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। सुबह के लगभग 10 बजे थे। बुधवार का दिन था। आयरन हिल्स के पीछे बसा...

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खाकी वर्दी पर लग रहे दाग कौन धोएगा- सुभाषिनी सहगल अली

उत्तर प्रदेश में महिला उत्पीड़न की इतनी घटनाएं घट रही हैं कि अगर कोई छोटी-सी आशा की किरण उजागर होती है, तो उसे देखने और दिखाने की कोशिश की जानी चाहिए। न्याय की पथरीली राह में ये छोटी उपलब्धियां मील के पत्थर का काम करती हैं। कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मामले अनगिनत हैं, पर विरोध की हिम्मत कम ही महिलाएं जुटा पाती हैं। उत्पीड़न करने वाले हर तरह से शक्तिशाली...

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इन्क्लूसिव मीडिया- यूएनडीपी फैलोशिप-2014 के पऱिणाम घोषित!

इन्क्लूसिव मीडिया- यूएनडीपी फैलोशिप 2014 के लिए हिन्दी और अंग्रेजी मीडिया से जुड़े ओड़िशा, झारखंड, असम और पंजाब के कुल छह पत्रकारों का चयन हुआ है। चयनित फैलो अपनी रोजमर्रा की पत्रकारिता से समय निकालकर देश के ग्रामीण और वंचित समुदायों के बीच समय बिताएंगे ताकि समाज के इस हिस्से की चिन्ता और सरोकारों को व्यापक कवरेज मिल सके और उसपर लोगों का ध्यान जा सके। फैलोशिप के अन्तर्गत चयनित...

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कोरबा के पास डंडे के जोर पर उद्योग के लिए भूमि अधिग्रहण

कोरबा (निप्र)। एसईसीएल के गेवरा विस्तार परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई ग्राम पोड़ी में प्रशासन ने डंडे की जोर पर की। महिलाओं को घरों से बाल पकड़कर न केवल घसीटते हुए निकाला गया, बल्कि लाठी से बर्बरतापूर्वक पीटा गया। महिलाएं बिलखती रहीं, पर प्रशासन का दिल नहीं पसीजा। जो भी सामने आया, बस उस पर डंडे बरसाए और जबरिया बस में डालकर चौकी ले गए। मकानों का सामान...

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कम नहीं हो पा रहा कुपोषण- संदीप कुमार

सरकार का दावा है कि लोगों में कुपोषण घटा है. नेशनल सैंपल सर्वे आर्गनाइजेशन (एनएसएसओ) की 66वीं अध्ययन रिपोर्ट में बताया गया है कि दो तिहाई लोग पोषण के सामान्य मानक से कम खुराक ले पा रहे हैं. योजना आयोग का मानना है कि हर ग्रामीण को न्यूनतम 2400 किलो कैलोरी व हर शहरी को न्यूनतम 2100 किलो कैलोरी का आहार मिलना चाहिए. जमीनी हकीकत क्या है, यह भी सरकारी...

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