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'दुनिया से भुखमरी मिटाने के लिए प्रतिव्यक्ति सालाना 160 डॉलर की जरुरत'

नयी दिल्ली : दुनिया से भुखमरी मिटाने के लिए प्रतिव्‍यक्ति सलाना 160 डॉलर, करीब 10,000 रुपये की जरुरत होगी. संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था की ओर से कहा गया है कि 2030 तक दुनिया से भुखमरी मिटाने के लिए अत्यधिक गरीबी में रह रहे प्रत्येक व्यक्ति को इससे उबारने के लिये सालाना 160 डॉलर की आवश्यकता है. खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने कहा, वर्ष 2030 तक विश्व से स्थायी तौर...

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छत्तीसगढ़ के तीन लाख परिवार पीडीएस से बाहर

जिया कुरैशी/रायपुर। छत्तीसगढ़ की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) से राज्य के तीन लाख परिवार बाहर हो गए हैं। ये सभी परिवार सामान्य श्रेणी यानी एपीएल कोटे के हैं। अप्रैल से इन्हें राशन देना बंद किया गया था, केवल केरोसिन की पात्रता ही रह गई थी। अब सरकार ने जुलाई से इनके केरोसिन की पात्रता भी खत्म कर दी है। फैक्ट फाइल राशन कार्ड धारियों की संख्या-63 लाख राशन के पात्र बचे -60 लाख कटौती...

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बीरभूम को नंदीग्राम नहीं बनने दिया जायेगा :ममता

पानागढ़: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को कहा कि बीरभूम जिले में हिंसा बरदाश्त नहीं की जायेगी. जिले को नंदीग्राम और सिंगुर नहीं बनने दिया जायेगा. जिले के प्रशासनिक अधिकारियों के साथ विकास योजनाओं की समीक्षा करने के बाद उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि बाहर से हथियारबंद अपराधियों को लाकर गांवों में गुंडागर्दी और अराजकता फैलाने की कोशिश बरदाश्त नहीं की जायेगी. इसके पहले उन्होंने बोलपुर...

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किसानों और मजदूरों का होगा मुफ्त दुर्घटना बीमा

रांची : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने घोषणा की है कि राज्य के पांच हेक्टेयर से कम जमीन वाले किसान, भूमिहीन किसान, मनरेगा मजदूरों व खेतिहर मजदूरों का सरकार दुर्घटना बीमा मुफ्त में करायेगी. हरेक व्यक्ति पर सरकार सालाना 12 रुपये खर्च करेगी. इसके साथ-साथ रिक्शा चालकों, ठेलावालों को भी यह सुविधा दी जायेगी. इससे लोगों को सामाजिक सुरक्षा मिल पायेगी.  मुख्यमंत्री सोमवार को होटवार स्थित खेलगांव परिसर में आयोजित दुग्ध...

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सामाजिक, आर्थिक व जातीय जनगणना : समावेशी जुबान, मंशा अनजान!

आजादी के बाद भारत में गरीबी रेखा तय करने की दिशा में उठाये गये विभिन्न कदमों की सूची में पिछले कुछ वर्षो के दौरान संचालित सामाजिक, आर्थिक व जाति सर्वेक्षण का महत्वपूर्ण स्थान है. इसमें पहली बार किसी परिवार की सामाजिक पहचान को तरजीह दी गयी है. देश में लंबे अरसे से ऐसी मान्यता रही है कि गरीबी की मार कुछ सामाजिक श्रेणियों को ज्यादा ङोलनी पड़ती है, जिनमें से...

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