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नए राज्य/दो दशक: तीन राज्यों की वृहत्त विकास यात्रा

-आउटलुक, “विकास के तर्क पर बने उत्तराखंड, झारखंड, छत्तीसगढ़ बने परिवर्तन के साक्षी” उत्तराखंड, झारखंड, छत्तीसगढ़ ये तीनों राज्य सन 2000 में एक साथ बने। इनके बनने के पीछे तर्क था कि ये तीनों ही राज्य क्रमशः उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों के हिस्से थे। जिसके कारण इन क्षेत्रों का विकास नहीं हो पा रहा था। इनके लिए राजधानियां हाइकोर्ट तथा अन्य राज्य स्तरीय कार्यालय काफी दूर थे।...

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संकट में है भूजल और नदी का रिश्ता

-वाटर पॉर्टल, पिछले कुछ बरसों से, नदियों और भूजल का पुराना अन्तरंग कुदरती रिश्ता बुरी तरह बिगड़ा हुआ है। अनदेखी के कारण इन दिनों वह कुछ अधिक ही बदहाल है। यह रिश्ता सुधरने के स्थान पर साल-दर-साल और अधिक बिगड़ रहा है। उसका संकट बढ़ रहा है। रिश्ते के संकटग्रस्त होने के कारण नदियों के गैर-मानसूनी प्रवाह की मात्रा और अवधि घट रही है। पानी की गुणवत्ता बिगड़ रही है। नदी-तंत्र...

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लॉकडाउन के बाद भी भुखमरी और सिकुड़ती आय के खतरे बरकरार!

11 राज्यों के 3,994 उत्तरदाताओं के बीच एक सर्वेक्षण के प्रारंभिक निष्कर्षों से पता चलता है कि अधिकांश कमजोर परिवारों और समुदायों, जैसे कि एससी, एसटी, ओबीसी, पीवीटीजी, झुग्गी-झोंपड़ी में रहने वाले, दिहाड़ी मजदूर, किसान, एकल महिला परिवार, इत्यादि में लॉकडाउन से पहले उनकी आय के स्तर की तुलना में सितंबर-अक्टूबर के दौरान उनकी आय कम रही है. राइट टू फूड कैंपेन और सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज (टेलीफोनिक सर्वेक्षण के...

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“कलाकारों को तय करना होगा कि वे किसान के साथ हैं या सत्ता के”, किसान आंदोलन में शामिल पंजाबी फिल्म निर्देशक जतिंदर मोहर

-कारवां, जारी किसान आंदोलन में पंजाब के कलाकार भी बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं. यह अभूतपूर्व है क्योंकि आमतौर पर भारत में फिल्मी कलाकार, कुछेक अपवाद को छोड़ कर, अमूमन राजनीतिक स्टैंड लेने से बचते है, तब भी जब देश की राजनीति उन्हें सीधे प्रभावित करती है. हाल में हिंदी फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद कुछ विशेष कलाकारों पर दक्षिणपंथियों के हमले के समय भी देखा...

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मोदी लोकप्रिय हैं, भाजपा जीतती रहती है, लेकिन भारत के इंडीकेटर्स और ग्लोबल रैंकिंग चिंताजनक है

-द प्रिंट, एक तकलीफदेह साल खत्म होने को है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए चिंताएं खत्म नहीं होती दिख रही हैं. भारत कई प्रमुख सूचकांकों पर पहले के मुक़ाबले बुरी स्थिति में दिख रहा है, और इनके लिए हम कोरोना महामारी वाले साल को जिम्मेदार नहीं मान सकते हैं. आप सवाल कर सकते हैं कि किसी सरकार के सातवें साल में उसका आकलन करने की क्या जरूरत आ पड़ी? अगला आम...

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