गांव में रहनेवाले बच्चे आमतौर पर प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद उच्च शिक्षा या नौकरी के इरादे से बड़े शहरों का रुख कर लेते हैं. लेकिन 84 साल के हो चले भीखूभाई व्यास ने ऐसा नहीं किया़ युवावस्था में अपने गांव को छोड़ जाने से बेहतर उन्होंने अपनी मिट्टी से जुड़े रह कर उसे संवारने का बीड़ा उठाया़ आइए जानें कैसे़गुजरात के...
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छह दशकों में बदल डाली तसवीर
गांव में रहनेवाले बच्चे आमतौर पर प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद उच्च शिक्षा या नौकरी के इरादे से बड़े शहरों का रुख कर लेते हैं. लेकिन 84 साल के हो चले भीखूभाई व्यास ने ऐसा नहीं किया़ युवावस्था में अपने गांव को छोड़ जाने से बेहतर उन्होंने अपनी मिट्टी से जुड़े रह कर उसे संवारने का बीड़ा उठाया़ आइए जानें कैसे़ गुजरात के...
More »सेहत और शिक्षा को न बनाएं धंधा-- राजीव रंजन झा
हम भारतीय आम तौर पर कुछ भी खरीदते हैं, तो मोलभाव जरूर करते हैं. मसलन, सब्जी खरीदनी हो तो जरूर पूछते हैं कि भई 40 रुपये किलो क्यों, बगल में 35 का दे रहा है, 30 की देनी है तो दो. लेकिन अगर कोई आपसे पूछे कि आपकी दो बड़ी ऐसी खरीदारी कौन-सी हैं, जिसमें आपने कोई मोलभाव नहीं किया, तो क्या जवाब देंगे? शायद आप कहेंगे कि सिनेमा टिकट...
More »बीमार स्वास्थ्य सेवा कब सुधरेगी?-- तवलीन सिंह
हर वर्ष बरसात के खत्म होते ही डेंगू का प्रकोप शुरू हो जाता है। हर वर्ष इस मौसम में दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में लोगों के डेंगू से पीड़ित होने की खबरें मिलती हैं। हर वर्ष हमारी सरकारें वही रवैया अपनाती हैं, जो दशकों से जारी है। अस्पतालों की लापरवाही को लेकर चिंता व्यक्त की जाती है। फिर मौसम बदल जाता है, डेंगू के मरीज कम हो जाते हैं, और...
More »किसे फिक्र है बीमारी और इलाज की- पुण्य प्रसून वाजपेयी
दु निया के सौ से ज्यादा देशों में इलाज की सुविधाएं ही भारत से बेहतर नहीं हैं, बल्कि आबादी के अनुपात में डाॅक्टर और अस्पतालों में बेड भी भारत में सबसे कम है. दूसरी ओर भारत के छात्र सबसे ज्यादा तादाद में दुनिया के 12 विकसित देशों में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं. स्वास्थ्य सेवा सलीके से चले और बीमारी ना फैले इसके लिए औसतन जितना बड़ा...
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