मुंबई. जैतापुर परमाणु ऊर्जा परियोजना के खिलाफ शिवसेना ने एक बार ताल ठोंकी है। शिवसेना कार्याध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कोंकण के लोगों के आक्रोश को भूनाने के लिए 29 नवंबर को इस मसले पर ‘जैतापुर परियोजना क्यों जरूरी है और क्यों नहीं?’ एक परिसंवाद का आयोजन किया है। ठाकरे ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि 29 नवंबर को मुंबई के स्वातं˜यवीर सावरकर सभागृह में आयोजित परिसंवाद की अध्यक्षता सुप्रीम...
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पशुधन का कुपोषण से क्या रिश्ता है ?
हम जानते हैं कि कुपोषण का बोझ देश के जमीर और जेब दोनों पर भारी है।हम यह भी जानते हैं कि बाल-कुपोषण से छुटकारा पाना बड़े साहस और धैर्य की मांग करता है। लेकिन कुपोषण से छुटकारा पाने की स्थिति में जो आर्थिक फायदे होंगे- क्या हमें उन फायदों के बारे में पता है? एफएओ की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक भारत बाल-कुपोषण को खत्म करके अपनी आय में 28 अरब अमेरिकी डॉलर का इजाफा कर सकता है।यह बड़े आर्थिक...
More »80 साल बाद एक बार फिर बतानी होगी अपनी जाति, धर्म और व्यवसाय
भोपाल। आप, जनगणना कर्मचारियों को अपनी जाति बताने के लिए तैयार हो जाए। क्योंकि 9 जनवरी 2012 से भोपाल में भी सामाजिक-आर्थिक जनगणना का काम शुरू हो रहा है। सरकारी कर्मचारी बाकायदा टेबलेट (छोटा कम्प्यूटर) लेकर आएंगे और आपसे आपकी जाति, आपका धर्म पूछेंगे। इसके अलावा आपसे ये भी पूछा जाएगा कि क्या आपके घर में टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन भी हैं? इसके अलावा आपसे आपके व्यवसाय और शिक्षा की भी जानकारी ली जाएगी।...
More »दूसरे राज्यों का धान रोकने में लोगों की मदद लेगी सरकार
रायपुर. उड़ीसा, झारखंड समेत अन्य राज्यों से धान लाकर राज्य में समर्थन मूल्य पर बेचने वाले तस्करों पर सख्ती की तैयारी है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने धान तस्करों को पकड़ने में मदद करने वाले लोगों को इनाम देने को कहा है। धान तस्करों के वाहनों को राजसात कर लिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने सोमवार को राज्य में चल रही विकास योजनाओं, कानून-व्यवस्था को लेकर राज्यभर के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों की बैठक...
More »मजदूर को मजबूर बनाने की नीति- सुभाष चंद्र कुशवाहा
विगत कुछ महीनों से देश में मजदूर आंदोलन की सुगबुगाहट निजी सेवा के अमानवीयकरण की व्यथा-कथा उजागर करने के लिए पर्याप्त है। हुंडई, अशोक ली-लैंड और मारुति-सुजुकी के मजदूर आंदोलनों ने औद्योगिक नीति की खामियों और मजदूरों के शोषण को उजागर किया है। यह तब हो रहा है, जब वैश्वीकरण ने मजदूर चेतना को न केवल कुंद किया है, बल्कि तमाम मजदूर संगठनों को उत्पादक विरोधी बताते हुए हाशिये पर...
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