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कानपुर: नहीं मिला इलाज, बेटे ने बाप के कंधे पर तोड़ा दम

कानपुर : भारत में गरीबी का आलम यह है कि लोग अपनों की लाश कंधे पर ढोने को मजबूर हो रहे हैं. पिछले दिनों ओडिशा से ऐसी खबर आने के बाद अब खबर उत्तर प्रदेश के कानपुर से आई है. यहां एक बच्चे का इलाज करवाने के लिए पिता एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल का चक्कर लगाता रहा लेकिन उसका इलाज नहीं हो सका जिसके बाद पिता के कंधे पर...

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विशाल श्रम बल का लाभ लें-- आकार पटेल

अगले चार वर्षों में भारत में कामकाजी लोगों की संख्या करीब 87 करोड़ हो जायेगी. इस तरह भारत विश्व में सबसे ज्यादा कामकाजी आबादी वाला देश बन जायेगा. जब कोई देश ऐसी स्थिति में होता है, कि वहां कामकाजी आबादी का प्रतिशत उच्च स्तर पर पहुंच जाता है, तब वह कुछ पाने की उम्मीद करने लगता है. ऐसी स्थिति को जनसांख्यिकीय विजाभन (डेमोग्राफिक डिविडेंड) कहते हैं. इसका अर्थ यह...

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काहे रे नदिया तू बौरानी!-- अनिल रघुराज

पानी गले तक आ जाये, तो औरों का भरोसा छोड़ कर खुद ही सोचना और खोजना पड़ता है कि बचने का क्या रास्ता है. दो साल के सूखे के बाद सामान्य माॅनसून ने पूरब से लेकर उत्तर भारत के तमाम इलाकों में यही हालत कर दी है. शहरों, कस्बों व गांवों में लोग घरों से निकल कर सड़कों पर आ गये हैं. नदियां बावली हो गयी हैं. कई जगह तो...

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'बारिश का पावडर' करेगा कमाल, सूखे में भी लहलहाएगी फसल

नई दिल्ली। सूखा या बारिश की कमी के चलते हर साल फसल उत्पादन प्रभावित हो रहा है। भारत ही नहीं, दुनिया के बड़े हिस्से में गंभीर हो चुकी यह समस्या अब इनसान के अस्तित्व को चुनौती दे रही है। बहरहाल, वैज्ञानिकों की मानें तो रेन पावडर इसका कारगर हल हो सकता है। करीब दो साल से मैक्सिको समेत विभिन्न देशों में इस पर प्रयोग हुए हैं, जो सफल बताए गए हैं।...

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ग्रामीण भारत की थाली से खाना गायब, 40 सालों की सबसे बड़ी गिरावट

बढ़ती महंगाई का असर जितना शहरों में देखने को मिल रहा है उससे भी ज्यादा इसका शिकार ग्रामीण भारत हो रहा है। ग्रामीण भारत की थाली की हालत इतनी चिंताजनक हो चली है कि उसकी थाली में पिछले 40 सालों की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली है। नेशनल न्यूट्रीशन मॉनीट्रिंग ब्यूरो के एक सर्वे के मुताबिक देश की करीब 70 प्रतिशत आबादी यानी 84 करोड़ लोगों को ज़रुरत से...

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