जनतंत्र में कुछ आवाजें हैं, जो ज्यादा सुनाई देती हैं। महानगर और शहर के बड़े तबके की आवाज तो जनतांत्रिक विमर्श में सुनी ही जाती है, कस्बों, राजमार्गों और मुख्य सड़कों के किनारे के गांवों की आवाज भी कई बार इसमें दर्ज हो जाती है। लेकिन जो अंतरे-कोने में पडे़ हैं, जो नदियों के किनारे के गांव हैं, जो दियारे में बसे गांव हैं, जो पहाड़ों की तलहटियों में और...
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उदारीकरण के बाद बनीं आर्थिक नीतियों से ग़रीब और अमीर के बीच की खाई बढ़ती गई- सचिन कुमार जैन
विकास की पूरी बहस आर्थिक विकास के इर्द-गिर्द सीमित हो गई है. आख़िर इस आर्थिक विकास ने हमें एक ऐसी चमक दी है, जो हमारी आंखों में पड़ती है और फिर हमें असमानता दिखाई देना बंद हो जाती है. वर्तमान विकास मिथ्या सकारात्मकता का सबसे ज़्यादा निर्माण करती है. वर्ष 2018 की फोर्ब्स की रिपोर्ट (जो केवल दुनिया के अमीरों के काम, जीवन शैली और कमाई पर अध्ययन-प्रकाशन करती है) के...
More »2016 के बाद इस साल फरवरी में सबसे अधिक रही बेरोज़गारी दर: रिपोर्ट
नई दिल्ली: पिछले ढाई साल की तुलना में इस साल फरवरी में भारत में बेरोजगारी दर अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई. भारतीय अर्थव्यवस्था निगरानी केंद्र (सीएमआईई) द्वारा मंगलवार को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, फरवरी 2019 में भारत में बेरोजगारी दर बढ़कर 7.2 प्रतिशत हो गई, जो कि सितंबर 2016 के बाद सबसे अधिक है. यह आंकड़ा पिछले साल फरवरी में 5.9 प्रतिशत था. रॉयटर्स के अनुसार, मुंबई स्थित सीएमआईई...
More »जीडीपी घटकर 6.6 फीसदी पर पहुंची, पिछले 15 महीनों में सबसे कम दर
नई दिल्लीः वित्त वर्ष 2018-19 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में आर्थिक वृद्धि दर (जीडीपी) घटकर 6.6 फीसदी हो गई है. यह दर पिछली पांच तिमाही यानी 15 महीनों में सबसे कम है. गुरुवार को जारी सरकारी आकंड़ों से यह जानकारी मिली. कृषि और विनिर्माण क्षेत्र के कमजोर प्रदर्शन और उपभोक्ता मांग घटने से जीडीपी की रफ्तार कम हुई है. हालांकि, तीसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर धीमी पड़ने के बावजूद भारत अब...
More »क्या मोदी सरकार का आख़िरी बजट वास्तव में भारत की तरक्की की कहानी बयां करता है?- सचिन कुमार जैन
क़र्ज़दार सरकारें देश की आज़ादी को सुरक्षित नहीं रख सकती हैं, क्योंकि तब क़र्ज़ देने वाला नीतियों पर नियंत्रण रखता है. माध्यम वर्ग को आयकर में थोड़ी छूट और मिली, 12 करोड़ किसानों को हर रोज़ 16.50 रुपये मिलेंगे, क्योंकि वे पिछले दिनों कमर कस के बाहर निकल आए थे. 2030 तक नदियों को साफ़ करने का वायदा, 2030 में सबको पीनी का साफ़ पानी मिलने का सुखद स्वप्न; बहुत लोगों...
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