हाल में पशुओं की संख्या कम करने के लिए उन्हें मारे जाने के सवाल पर मैं एक टीवी चैनल के पैनल डिस्कशन में शामिल था. पशुओं के हक के लिए मुखर रहनेवाली मेनका गांधी ने पशुओं को मारने की छूट देने को लेकर कैबिनेट साथी पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर पर सार्वजनिक तौर पर सवाल उठाया था. जावेड़कर ने कुछ राज्य सरकारों को ऐसे पशुओं को एक खास समयावधि तक मारने की...
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चुनावी प्रक्रिया में परिवर्तन जरूरी--- शरत कुमार
हम सौभाग्यशाली हैं कि देश की चुनाव प्रक्रिया ही कार्यकारी राजनीतिक शक्ति का एक मात्र मार्ग है. हाल के साफ-सुथरे चुनावी परिणाम इसका सबूत हैं. हालांकि, चुनावी-प्रक्रिया में अनेक सुधारों के बावजूद आज भी आम जनता की राय में चुनावी प्रक्रिया देश की मूल खराबियों का मुख्य कारण है, जैसे कि सरकारी खजाने की चोरी, कालेधन की अपार महत्ता आदि. इन सब से जनता का चुनावी पद्धति और व्यवस्था में...
More »भारत की रेटिंग व्यक्ति नहीं, नीतियों से तय होगी : राजन मामले पर फिच
नई दिल्ली: प्रमुख वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच ने रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन के जाने से भारत की वित्तीय साख पर किसी तरह की आंच आने की आशंकाओं को खारिज किया है। एजेंसी ने कहा है कि ‘व्यक्तियों से ज्यादा महत्व नीतियों का होता है।' राजन ने कहा है कि वह भारतीय रिजर्व बैंक के प्रमुख के पद पर अपने तीन साल के वर्तमान कार्यकाल का विस्तार नहीं चाहते...
More »मजदूर से लखपति किसान बनी रुपाली
जमशेदपुर : धालभूमगढ़ की रुपाली मांडी दो साल पहले ईंट-भट्ठा में मजदूर थी. दिन भर की कड़ी मेहनत के बाद मुश्किल से 200 रुपये कमाती थी. आज अपनी जमीन पर खेती कर हजारों कमा रही है. सफल किसान की पहचान बनायी है. रुपाली से प्रेरित होकर दूसरी महिलाएं भी खेती की अोर आकर्षित हुई हैं. रुपाली बताती हैं कि भट्ठा में काम करने के लिए धालभूमगढ़ से जमशेदपुर आना पड़ता...
More »इंडिया एक्सक्लूजन रिपोर्ट--- 'वंचित भारत की एक तस्वीर'
क्या कभी आपने सोचा कि देश के शहरों में झुग्गी बस्तियां कितनी हैं, उनमें रहने वाले कौन हैं और झुग्गी-बस्तियों में इनका रहना जीना कैसा है ?अगर नहीं, तो नीचे लिखे तथ्यों पर गौर कीजिए! देश में तकरीबन साढ़े तैंतीस हजार झुग्गी-बस्तियों होने के अनुमान हैं, महज एक दशक यानी 2001 से 2011 के बीच झुग्गी-बस्तियों में दलित आबादी में 31 फीसद का इजाफा हुआ है. कुछ राज्यों की झुग्गी-बस्तियों की...
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