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झज्जर, हरियाणा में रहने वाले जगपाल सिंह फोगाट और उनकी पत्नी, मुकेश देवी मधुमक्खी पालन और शहद की प्रोसेसिंग कर ‘नेचर फ्रेश’ के नाम से ग्राहकों तक पहुँचाते हैं।

-द बेटर इंडिया, लोगों को आज सामान्य खेती में कोई खास भविष्य नजर नहीं आ रहा है। इसलिए, बहुत से किसान परिवार खेती छोड़कर दूसरे रोजगार तलाश रहे हैं। लेकिन वहीं कुछ ऐसे किसान भी हैं, जिन्होंने खेती से जुड़े दूसरे विकल्पों में सफलता तलाशी है। इनका मानना है कि जब देश के बाकी क्षेत्रों में लगातार बदलाव हो रहे हैं तो कृषि क्षेत्र क्यों पीछे रहे? कृषि को भी आधुनिक...

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कोरोना संकट के दौरान बच्चों के पोषण को आश्वस्त करने में मिड-डे मील स्कीम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है

स्कूल में दिया जाने वाला भोजन दुनिया भर में लाखों कमजोर बच्चों के लिए पोषण सुनिश्चित करता है. दुनिया भर में लगभग 37 करोड़ बच्चे स्कूल फीडिंग प्रोग्रामों का हिस्सा हैं. जबकि COVID-19 महामारी से पहले भारत में दोपहर में मिलने वाले मिड डे मील से 10 करोड़ स्कूली बच्चे लाभान्वित हुए थे, ब्राज़ील (4.8 करोड़), चीन (4.4 करोड़), दक्षिण अफ्रीका (90 लाख) और नाइजीरिया (90 लाख) जैसे देशों में...

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पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस ही नहीं, खाने का तेल भी हो गया महंगा, प्याज और दाल भी बिगाड़ रहे बजट

-गांव कनेक्शन, पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की बढ़ती कीमतों ने आम लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। कई रिपोर्टस में बताया जा रहा कि पिछले दो महीने में जहां पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगभग 8 रुपए की बढ़ोतरी हुई है तो वहीं एलपीजी गैस सिलेडंर की कीमत 100 रुपए तक बढ़ गई है, लेकिन आम लोगों पर महंगाई की मार बस इन्हीं दो चीजों की वजह से नहीं...

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कोविड-19 : क्या टीकाकरण पूर्व स्क्रीनिंग कोमोरबिडिटी या अन्य बीमारी का पता लगाने के लिए पर्याप्त है?

-कारवां, उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के पंडित दीनदयाल उपाध्याय जिला अस्पताल में 52 वर्षीय वार्ड परिचारक महिपाल सिंह का 17 जनवरी को निधन हो गया. भारत के टीकाकरण अभियान के पहले दिन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित कोविड-19 वैक्सीन कोविशील्ड का इंजेक्शन लगाने के एक दिन बाद उनकी मृत्यु हो गई. इंजेक्शन लगने के कुछ समय बाद महिपाल ने अपने बेटे विशाल को अस्पताल से घर ले चलने को कहा था....

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राष्ट्र एक व्यक्ति में बदल जाए, उससे पहले एक आंदोलन क्या राजनीतिक विपक्ष बन पाएगा?

-जनपथ, सरकार अगर अचानक से घोषणा कर दे कि परिस्थितियां अनुकूल होने तक अथवा किन्हीं अन्य कारणों से विवादास्पद कृषि क़ानूनों को वापस लिया जा रहा है और कृषि क्षेत्र के सम्बन्ध में सारी व्यवस्थाएं पहले की तरह ही जारी रहेंगी, तो आंदोलनकारी किसान और उनके संगठन आगे क्या करेंगे? महीनों से दिल्ली की सीमाओं पर जमे हज़ारों किसान और उत्तर प्रदेश के पश्चिमी इलाक़ों में महापंचायतें आयोजित कर रहे आंदोलनकारी जाट...

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